संगमा ने पूछा- नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लाने से पहले केंद्र राज्यों के साथ चर्चा को दरकिनार करेगा
संगमा ने केन्द्रीय गृह मंत्री से कहा, ‘‘ हम छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। तो क्या विधेयक स्थानीय कानूनों की अनदेखी करेगा?कृपया हमें बुलाएं और पूर्वोत्तर के लोगों के हितों को देखें। हमारी शंकाएं दूर करें। मुझे विश्वास है कि आप (शाह) हमारी शंकाओं को दूर करेंगे।’’ नागरिकता विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आये वहां के अल्पसंख्यक (हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी) शरणार्थियों को सात साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
गुवाहाटी। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सोमवार को कहा कि पूर्वोत्तर में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर शंकाएं हैं और उनसे आग्रह किया कि विधेयक दोबारा लाने से पहले क्षेत्र के सभी राज्यों को विश्वास में लें। पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) के चौथे सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगमा ने पूछा कि क्या विधेयक को दोबारा लाने से पहले केन्द्र राज्यों के साथ चर्चा को दरकिनार करेगा। संगमा ने पूछा, ‘‘विधेयक के बाद क्या होगा? क्या बांग्लादेश से लोग आते रहेंगे? क्या लगातार प्रवाह के लिए कोई समय सीमा है? पूर्वोत्तर में हमें बहुत सी शंकाएं हैं?’’ उन्होंने अनुरोध किया कि केन्द्र सभी हितधारकों को बुलाकर इस पर चर्चा करे और मामले पर सर्वसम्मति पर पहुंचे।
Home Minister at North-East Democratic Alliance (NEDA) conclave in Guwahati: Every state is an integral part of India,to spread this feeling at grass-root level it was important to make North-East 'Congress mukt'. Today, I'm delighted that all 8 states of North-East are with NEDA pic.twitter.com/jZp2JxIbn8
— ANI (@ANI) September 9, 2019
संगमा ने केन्द्रीय गृह मंत्री से कहा, ‘‘ हम छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। तो क्या विधेयक स्थानीय कानूनों की अनदेखी करेगा?कृपया हमें बुलाएं और पूर्वोत्तर के लोगों के हितों को देखें। हमारी शंकाएं दूर करें। मुझे विश्वास है कि आप (शाह) हमारी शंकाओं को दूर करेंगे।’’ नागरिकता विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आये वहां के अल्पसंख्यक (हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी) शरणार्थियों को सात साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। मौजूदा प्रावधानों के तहत यह समय सीमा 12 साल है। यह विधेयक आठ जनवरी को लोकसभा में पारित हुआ था। हालांकि यह राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया है।
अन्य न्यूज़