Amrit kaal Budget 2023-24: सप्तर्षि दिखाएंगे रास्ता, श्री अन्न पूरी दुनिया को करेगा पोषित, अमृतकाल में भारत की अर्थव्यवस्था ऐसे भरेगी उड़ान

India economy will fly in Amritkal
prabhasakshi
अभिनय आकाश । Feb 1 2023 6:49PM

अमृत ​​काल अगले 25 वर्षों को संदर्भित करता है जो भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी तक अग्रणी है। इस अवधि को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उस समय के रूप में पेश किया गया है जब भारत एक विकसित देश बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को अमृत काल का पहला बजट पेश किया। इसे भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक विभक्ति बिंदु के रूप में पेश किया। सीतारमण ने कहा, "अमृत काल में यह पहला बजट है। दुनिया ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक चमकते सितारे के रूप में पहचाना है। अमृत ​​काल अगले 25 वर्षों को संदर्भित करता है जो भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी तक अग्रणी है। इस अवधि को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उस समय के रूप में पेश किया गया है जब भारत एक विकसित देश बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

अमृत ​​काल क्या है?

2021 में प्रधानमंत्री (पीएम) नरेंद्र मोदी ने 75 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान पहली बार "अमृत काल" शब्द का इस्तेमाल किया। उन्होंने अगले 25 वर्षों के लिए भारत के लिए एक नया रोडमैप तैयार करते हुए मृत काल का उपयोग किया। अमृत ​​काल का उद्देश्य भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाना और गांवों और शहरों के बीच विकास की खाई को पाटना है। इसका उद्देश्य नवीनतम तकनीक और डिजिटलीकरण की शुरुआत करना और सार्वजनिक जीवन में सरकारी हस्तक्षेप को कम करना है।

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सप्तऋषि दिखाएंगे रास्ता

अर्थव्यवस्था के लिए अपने दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए सीतारमण ने सात फोकस क्षेत्रों की बात की, जिन्हें उन्होंने सरकार का मार्गदर्शन करने के लिए 'सप्तऋषि' कहा। जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल और सामाजिक विकास शामिल है जो देश को आत्मनिर्भर बनाता है। और देश को न केवल विकसित देशों में बल्कि इसकी अर्थव्यवस्था को विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर रखता है।

कौन हैं सप्तऋषि

कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज, इन सात ऋषियों को सप्तर्षि कहा जाता है। हर काल में अलग-अलग सप्तर्षि होते हैं ये सप्तर्षि मौजूदा काल के हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार सप्त ऋषियों की उत्पत्ति ब्रह्माजी के मस्तिष्क से हुई थी। माना जाता है कि शिवजी ने गुरु बनकर सप्तर्षियों को ज्ञान दिया। हिंदू मान्यताओं के अनुसार सप्तर्षि की उत्पत्ति इस सृष्टि पर संतुलन बनाने के लिए हुई। उनका काम धर्म और मर्यादा की रक्षा करना और संसार के सभी कामों को सुचारू रूप से होने देना है। सप्तर्षि अपनी तपस्या से संसार में सुख और शांति कायम करते हैं।

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क्या है श्री अन्न

श्री अन्न को देवान्न भी कहते हैं। मोटे अनाजों को श्री अन्न का दर्जा दिया गया है। श्री अन्न को अनाजों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। वक्त के साथ लोग गेहूं, चावल की ओर तेजी से बढ़ते चले गए। ऐसे में श्री अन्न की उपज और भोजन में इसको प्रयोग में लाए जाने के मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। लोगों की थाली में एक बार फिर मोटे अनाजों को लाए जाने की कोशिश की जा रही है। कोरोना काल में मोटे अनाजों से मिलने वाली ताकत की खूब चर्चा हुई। इसके बाद भी श्री अन्न के प्रयोग में वृद्धि हुई है।

भारत दुनिया में श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में श्री अन्न (मोटा अनाज) का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। इस तरह के अनाज के कई स्वास्थ्य लाभ हैं और सदियों से यह भोजन का अभिन्न अंग रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अब भारत को श्री अन्न के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के लिए भारतीय मोटा अनाज अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम व्यवहार, अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों को साझा करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में समर्थन दिया जाएगा।

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