SC ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को दी राहत, कहा- असहमति है लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व

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[email protected] । Aug 29 2018 8:47PM

उच्चतम न्यायालय ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के सिलसिले में गिरफ्तार पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक घर में नजरबंद रखने का आज आदेश दिया।

नयी दिल्ली/पुणे। उच्चतम न्यायालय ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के सिलसिले में गिरफ्तार पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक घर में नजरबंद रखने का आज आदेश दिया। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि असहमति लोकतंत्र का ‘‘सेफ्टी वाल्व’’ है। शीर्ष अदालत के इस आदेश के बाद इन पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जेल नहीं भेजा जायेगा परंतु वे पुलिस की निगरानी में छह सितंबर तक घरों में ही बंद रहेंगे। 

इन पांचों लोगों-वरवर राव, वेरनान गोंसाल्विज, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को कल देशभर में की गई छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने भीमा-कोरेगांव घटना के करीब नौ महीने बाद इन व्यक्तियों को गिरफ्तार करने पर महाराष्ट्र पुलिस से सवाल भी किये।

पीठ ने कहा, ‘‘असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है और यदि आप इन सेफ्टी वाल्व की इजाजत नहीं देंगे तो यह फट जायेगा।’’शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही इन गिरफ्तारियों के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर सहित पांच बुद्धिजीवियों की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार और राज्य पुलिस को नोटिस जारी किये। याचिकाकर्ताओं में अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक और देविका जैन भी शामिल हैं।

न्यायालय के आदेश के बाद अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश पारित किया है जो गिरफ्तार सभी लोगों से संबंधित है।’’ उन्होंने कहा कि उन सभी को उनके घर वापस ले जाया जाएगा। महाराष्ट्र पुलिस ने कल देशव्यापी कार्रवाई कर इन लोगों को गिरफ्तार किया था। ट्रेड यूनियन नेता एवं अधिवक्ता भारद्वाज जहां फरीदाबाद स्थित अपने घर में नजरबंद हैं, वहीं कार्यकर्ता नवलखा दिल्ली स्थित अपने घर में नजरबंद हैं। तेलगू कवि राव और कार्यकर्ताओं-गोंसाल्विज तथा फरेरा को बीती देर रात पुणे ले जाया गया था।

पुलिस ने हैदराबाद से तेलुगू कवि वरवर राव को गिरफ्तार किया था जबकि वेरनान गोंसाल्विज और अरुण फरेरा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह पुलिस ने ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को हरियाणा के फरीदाबाद और सिविल लिबर्टी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नयी दिल्ली से गिरफ्तार किया था। अधिकारियों ने बताया कि इन लोगों को समानांतर छापेमारी में माओवादियों से सपंर्कों के संदेह में गिरफ्तार किया गया था।

राव, भारद्वाज, फरेरा, गोन्साल्विज और नवलखा को भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) के तहत गिरफ्तार किया गया जो विभिन्न समुदायों के बीच धर्म, नस्ल, स्थान, भाषा के आधार पर वैमनस्यता बढ़ाने और सौहार्द को नुकसान पहुंचाने के कृत्य से संबंधित है। साकेत अदालत ने नवलखा को ट्रांजिट रिमांड पर पुणे ले जाने की अनुमति दे दी थी जिस पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी।

वहीं, भारद्वाज के मामले में फरीदाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने महाराष्ट्र पुलिस को ट्रांजिट रिमांड की अनुमति दे दी थी। हालांकि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा ट्रांजिट रिमांड के आदेश पर तीन दिन का स्थगनादेश दिए जाने के बाद आज सुबह मजिस्ट्रेट को अपना आदेश वापस लेना पड़ा। महाराष्ट्र पुलिस ने इन सभी को पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव-भीमा गांव में भड़की हिंसा के मामले में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।

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