पहलू खान मामले पर बोले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, पुलिस की अपर्याप्त जांच से बरी होते हैं आरोपी
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने यहां शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि हम यह लगातार देख रहे हैं... एक न्यायाधीश के लिए सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि उसके समक्ष जिस तरह से सबूत पेश किया जाता है उसी मुताबिक उसे निर्णय करना होता है।
मुंबई। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनंजय चंद्रचूड़़ ने पहलू खान मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे मामले जिनकी जांच अदालत की निगरानी में हुई है उनमें बेहतर परिणाम सामने आए हैं। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने यहां शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि हम यह लगातार देख रहे हैं... एक न्यायाधीश के लिए सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि उसके समक्ष जिस तरह से सबूत पेश किया जाता है उसी मुताबिक उसे निर्णय करना होता है। पहलू खान लिंचिंग मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि और तब आप पाते हैं कि पुलिस द्वारा की गई जांच बेहद अपर्याप्त है या तो जानबूझ कर अथवा अयोग्य होने के कारण ऐसा हुआ है,जो आगे चल कर बरी होने का कारण बनेगी।
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गौरतलब है कि राजस्थान की एक अदालत ने पहलू खान की पीट पीट कर हत्या किए जाने के मामले में सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया था। यह सब पुलिस जांच में बेहद खामी के चलते संदेह के लाभ के कारण हुआ। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां उचित स्तर पर अदालतों से संपर्क किया गया और जांच की निगरानी संभव हो सकी, उनमें बेहतर परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कठुआ बलात्कार मामले का उदाहरण पेश किया जहां उच्चतम न्यायालय ने अनेक ऐसे कदम उठाए कि जांच प्रभावित नहीं हो। हालांकि उन्होंने कहा कि अदालत की निगरानी में जांच के मामले सीमित होते हैं। वह ‘इमैजिनिंग फ्रीडम थ्रू आर्ट’ पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आजादी उन लोगों के खिलाफ जहर उगलने का जरिया बन गई है जो अलग तरह से सोचते-विचारते हैं, बोलते हैं, खाते हैं, पहनते हैं और अलग नजरिया रखते हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि खतरा तब पैदा होता है जब आजादी को दबाया जाता है...या तो राज्यों के द्वारा, लोगों के द्वारा अथवा कला के जरिए।
Justice Dhananjaya Chandrachud, Supreme Court judge on #PehluKhan case: Cases, where courts have been approached with a petition at an appropriate stage and courts have been able to monitor investigation, have perhaps shown a better outcome. (17.08.2019) https://t.co/QtOdnAiizy
— ANI (@ANI) August 17, 2019
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