मांझा पर NGT का प्रतिबंध हटाने से SC का इंकार
उच्चतम न्यायालय ने पंतग उठाने में प्रयोग होने वाले शीशा मिश्रित डोर (मांझा) के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से आज इंकार कर दिया।
उच्चतम न्यायालय ने पंतग उठाने में प्रयोग होने वाले शीशा मिश्रित डोर (मांझा) के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से आज इंकार कर दिया। न्यायालय के इस निश्चय के बाद फिलहाल अधिकरण का अंतरिम प्रतिबंध लागू रहेगा। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता, गुजरात के कारोबारियों का समूह, राहत के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने पिछले साल 14 दिसंबर को शीशा मिश्रिम डोर के इस्तेमाल पर लगायी गयी अंतरिम रोक के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। इन कारोबारियों के वकील का कहना था कि कानूनी प्रावधानों पर विचार किये बगैर ही अधिकरण ने इस तरह का प्रतिबंध लगाने का आदेश दे दिया है। उनका कहना था कि डोर के साथ मांझा दशकों से इस्तेमाल हो रहा है और इससे मनुष्य, मवेशियों और पक्षियों को खतरा होने का मसला कभी भी नहीं उठा।
पीठ ने कहा कि चूंकि यह डोर शीशा मिश्रित है, इसलिए यह मवेशियों और पक्षियों के लिये नुकसानदेह हो सकती है। अधिकरण ने पिछले साल मांझा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाते हुये कहा था कि शीशा और धातु पाउडर मिश्रित डोर पर्यावरण के लिये खतरा पेश करती है। अधिकरण ने कहा था कि प्रतिबंध का यह आदेश शीशा मिमित नायलान, चीनी और देसी मांझा पर लागू होगा आौर उसने मांझा एसोसिएशन को निर्देश दिया था कि पंतग की डोर के हानिकारक प्रभावों के बारे में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रिपोर्ट पेश करे।
अधिकरण ने इससे पहले पशु अधिकारों की संस्था ‘पीपुल फार एथिकल ट्रीटमेन्ट आफ एनीमल्स’ (पेटा) की याचिका पर सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस संगठन ने दलील दी थी कि इस तरह के मांझा से मनुष्य और पशुओं को गंभीर खतरा हो रहा है और हर साल इसकी वजह से बडी संख्या में लोगों की मृत्यु हो रही है। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह मांझा जब करेन्ट चालित बिजली के तारों के संपर्क में आता है तो इससे इलेथ्क्ट्रक ग्रिड भी फेल हो जाती है।
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