असम के NRC मसौदे को लेकर प्राधिकारी कोई दण्डात्मक कार्रवाई नहीं करें: SC
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे के प्रकाशन के आधार पर किसी के भी खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि यह अभी सिर्फ एक मसौदा ही है।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे के प्रकाशन के आधार पर किसी के भी खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि यह अभी सिर्फ एक मसौदा ही है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन की पीठ ने केन्द्र को निर्देश दिया कि इस मसौदे के संदर्भ में दावों और आपत्तियों के निरस्तारण के लिये मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की जाये। यह मानक संचालन प्रक्रिया 16 तक उसके समक्ष मंजूरी के लिये पेश की जाये।
न्यायालय ने कहा कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष होनी चाहिए और उन सभी को समुचित अवसर मिलना चाहिए जिनके नाम इस सूची में शामिल नहीं है। इससे पहले, असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के समन्यवक प्रतीक हजेला ने न्यायालय के समक्ष अपनी प्रगति रिपोर्ट पेश की जिसमें एनआरसी के कल प्रकाशन के बारे में विस्तृत विवरण था। इस पर पीठ ने जानना चाहा कि अब अगली कार्रवाई क्या होगी।
हजेला ने कहा कि इस मसौदे में नाम शामिल करने और हटाने के बारे में अब दावे और आपत्तियां 30 अगस्त से 28 सितंबर के दौरान दायर की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का मसौदा सात अक्तूबर तक जनता के लिये उपलब्ध रहेगा ताकि वे देख सकें कि इसमे उनके नाम हैं या नहीं। केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि दावों और आपत्तियों की प्रक्रिया के निष्पादन में संबंधित मंत्रालय मानक संचालन प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करने के लिये तैयार है।
उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि उसे यह निर्देश देना चाहिए कि सभी को समान अवसर प्रदान किये बगैर कोई भी दण्डात्मक कार्रवाई नहीं की जाये। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का दूसरा और अंतिम मसौदा कल प्रकाशित हुआ था जिसमें असम में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ नाम शामिल हैं। करीब 40.07 लाख आवेदकों के नाम सूची में नहीं थे।
शीर्ष अदालत के निर्देश पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का पहला मसौदा 31 दिसंबर 2017 और एक जनवरी, 2018 की दरम्यानी रात में प्रकाशित हुआ था। इस मसौदे में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ नाम शामिल किये गये थे। असम राज्य 20वीं सदी के प्रारंभ से ही बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा है और यह अकेला राज्य है जिसके पास राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर है। पहली बार इस रजिस्टर का प्रकाशन 1951 में हुआ था।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले कहा था कि 31 दिसंबर को प्रकाशित असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उनके दावों की जांच पड़ताल बाद वाली सूची में की जायेगी और यदि वे सही पाये गये तो उन्हें इसमें शामिल किया जायेगा।
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