गुजरात दंगा: मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ जाकिया की अर्जी पर जनवरी में सुनवाई

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[email protected] । Dec 3 2018 2:43PM

उच्चतम न्यायालय ने साल 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गयी क्लीनचिट को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने साल 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गयी क्लीनचिट को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की। जाकिया के पति पूर्व सांसद एहसान जाफरी दंगों के दौरान एक घटना में मारे गये थे। जाकिया ने एसआईटी के फैसले के खिलाफ उनकी अर्जी को खारिज किये जाने के गुजरात उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2017 के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।

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न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने मामले को अगले साल जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। अदालत ने पहले कहा था कि वह मुख्य मामले में सुनवाई से पहले जाकिया की अर्जी में सह-याचिकाकर्ता बनने के सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के आवेदन पर भी विचार करेगी। पिछली सुनवाई में एसआईटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि जाकिया की याचिका विचारणीय नहीं है। उन्होंने मामले में सीतलवाड के दूसरी याचिकाकर्ता बनने पर भी आपत्ति जताई थी।

उन्होंने कहा था कि जाफरी ने एक भी हलफनामा जमा नहीं किया है और सारे हलफनामे सीतलवाड ने जमा किये हैं जो खुद को पत्रकार बताती हैं। जाकिया की ओर से वरिष्ठ वकील सी यू सिंह ने कहा था कि मुख्य याचिकाकर्ता 80 साल की हैं इसलिए सीतलवाड को उनकी सहायता के लिए याचिकाकर्ता संख्या-2 बनाया गया है। इस पर अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता की मदद के लिए किसी को सह-याचिकाकर्ता बनने की जरूरत नहीं है और वह सीतलवाड के दूसरी याचिकाकर्ता बनने के अनुरोध पर विचार करेगी।

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जाफरी के वकील ने कहा था कि याचिका में नोटिस जारी किये जाने की जरूरत है क्योंकि यह 27 फरवरी, 2002 से मई 2002 की अवधि के दौरान कथित बड़ी साजिश के पहलू से संबंधित है। एसआईटी ने इस मामले में आठ फरवरी, 2012 को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। उसने मोदी को और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों समेत 63 अन्य को क्लीन चिट दी थी। तब एसआईटी ने कहा था कि उनके खिलाफ अभियोजन योग्य कोई साक्ष्य नहीं है।

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