जेपी इंफ्राटेक से फ्लैट खरीदने वालों की याचिका पर सुनवायी 24 को
जेपी इंफ्राटेक में अपने सपनों का घर बुक करने वाले तमाम परेशान खरीददारों की याचिका पर गुरुवार को सुनवायी करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने आज हामी भर दी।
जेपी इंफ्राटेक में अपने सपनों का घर बुक करने वाले तमाम परेशान खरीददारों की याचिका पर गुरुवार को सुनवायी करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने आज हामी भर दी। इस समय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ प्रक्रिया चल रही है। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह फ्लैट खरीददारों की याचिका पर सुनवायी करेगी। खरीददारों ने आरोप लगाया है कि ‘‘बिना गारंटी वाले देनदार’’ होने के कारण उन्हें ना घर मिलेगा और ना ही मेहनत से अर्जित किया गया धन वापस मिलेगा।
पीठ के समक्ष 24 फ्लैट खरीददारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत सिन्हा ने कहा, ‘‘करीब 32,000 खरीददारों ने जेपी इंफ्राटेक की 27 अलग-अलग आवासीय परियोजनाओं में फ्लैट बुक किये थे और अब वे मझधार में हैं क्योंकि फर्म के खिलाफ दिवाला कानून के तहत कार्रवाई शुरू हो गयी है।’’ उन्होंने कहा कि दिवाला कानून के तहत प्रक्रिया शुरू होने के बाद गारंटी वाले देनदारों के वित्तीय हितों को पहले सुरक्षित किया जाएगा, जबकि बिना गारंटी वाले देनदार होने के कारण फ्लैटों के खरीददारों को कुछ नहीं मिलेगा।
नये दिवाला कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए सिन्हा ने कहा कि दिवाला कानून के तहत प्रक्रिया लंबित होने के कारण फ्लैट खरीददारों के पक्ष में दिये गये उपभोक्ता अदालतों और सदर अदालतों के फैसलों को लागू नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने दलील दी कि फ्लैट खरीददारों के हितों की रक्षा जरूरी है। फ्लैट खरीददार चित्रा शर्मा और 23 अन्य लोगों ने बतौर खरीददार अपने अधिकारों की रक्षा के लिए यह याचिकरा दायर की है। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण ने 10 अगस्त को जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित करने के लिये आईडीबीआई बैंक की याचिका विचारार्थ स्वीकार किये जाने के बाद सैंकड़ों खरीददार मझधार में हैं।
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