यौन स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट, LGBT खुश
नीरज कुमार दुबे । Jul 10 2018 12:41PM
उच्चतम न्यायालय ने सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई शुरू की और कहा कि वह देखेगा कि 2013 में दी गई उसकी व्यवस्था सही है या नहीं।
उच्चतम न्यायालय ने सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई शुरू की और कहा कि वह देखेगा कि 2013 में दी गई उसकी व्यवस्था सही है या नहीं जिसमें, सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सुधारात्मक याचिकाओं में सीमित गुंजाइश होती है और इनकी सुनवाई किसी अन्य पीठ के समक्ष होनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इन मामलों में गैर सरकारी संगठन नाज फाउंडेशन को बहस आगे बढ़ाने की अनुमति दी और कहा कि वह जीवन और यौन स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर विचार करेगा।
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