अलगाववादियों का दावा, अमरनाथ यात्रा के कारण स्थगित हुई है 35ए पर सुनवाई

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[email protected] । Aug 6 2018 8:16PM

अलगाववादियों ने आज दावा किया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई को उच्चतम न्यायालय ने अमरनाथ यात्रा के कारण अगस्त के अंतिम सप्ताह तक टाल दिया है।

श्रीनगर। अलगाववादियों ने आज दावा किया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई को उच्चतम न्यायालय ने अमरनाथ यात्रा के कारण अगस्त के अंतिम सप्ताह तक टाल दिया है। साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवास कानून के प्रावधानों के साथ छेड़छाड़ होने की स्थिति में प्रदर्शन जारी रखने की शपथ ली। प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रही ज्वाइंट रेसिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) का कहना है, जम्मू-कश्मीर में उत्तराधिकार संबंधी कानून पर सुनवाई आज से अगस्त के अंतिम सप्ताह तक टाल दी गयी है, जब अमरनाथजी यात्रा समाप्त होगी। इस कानून के साथ छेड़छाड़ के विरोध में प्रदर्शनों का आयोजन जारी रहेगा।

जेआरएल में सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक शामिल हैं। संगठन का कहना है कि न्यायालय द्वारा मामले की सुनवाई कुछ सप्ताह के लिए टाल देना उसकी मंशा को स्पष्ट करता है। यही नहीं शीर्ष अदालत ने आरएसएस, की याचिकाओं को भी स्वीकार किया है, जो जम्मू-कश्मीर के संबंध में आरएसएस के विचारों से प्रभावित हैं। अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के खिलाफ अलगाववादियों ने घाटी में रविवार से दो दिन के बंद का आह्वान किया था।

उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार प्रदान करने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई स्थगित कर दी क्योंकि तीन सदस्यीय पीठ के सदस्य एक न्यायाधीश उपलब्ध नहीं थे। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ को करनी है लेकिन इसके तीसरे सदस्य न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ उपस्थित नहीं हैं।

पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ कर रही थी और अब यह विचार करेंगे कि क्या इसे वृहद पीठ को सौंप दिया जाये। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई 27 अगस्त से शुरू हो रहे सप्ताह के लिये सूचीबद्ध कर दी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि शीर्ष अदालत को यह विचार करना होगा कि क्या अनुच्छेद 35-ए संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है।

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