नायडू ने शरद यादव को अयोग्य ठहराने पर हो रही आलोचनाओं को खारिज किया

Sharad Yadav indulged in anti-Party activity by joining RJD stage, rules Venkaiah Naidu

राज्यसभा के सभापति एम वैंकेया नायडू ने जदयू सांसद शरद यादव और अली अनवर को सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराने के मामले में त्वरित फैसला देने पर हो रही आलोचनाओं को खारिज करते हुये कहा कि इंसाफ देने में की गयी देरी, इंसाफ देने से इंकार करना है।

नयी दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम वैंकेया नायडू ने जदयू सांसद शरद यादव और अली अनवर को सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराने के मामले में त्वरित फैसला देने पर हो रही आलोचनाओं को खारिज करते हुये कहा कि इंसाफ देने में की गयी देरी, इंसाफ देने से इंकार करना है। इस तरह के मामलों को लंबित नहीं रखा जाना चाहिये। नायडू ने केन्द्रीय सूचना आयोग के 12वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुये राज्यों के सूचना आयुक्तों से सूचना आयोगों में लंबित मामलों का त्वरित निस्तारण करने की अपील करते हुये कहा कि इसके लिये गंभीरता से प्रयास करना चाहिये जिससे ऐसे मामलों का जल्द से जल्द निपटारा हो।

उन्होंने कहा कि इससे जनता की शिकायतों का शीघ्र समाधान सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा ‘‘कल मैंने संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के एक मामले में तीन महीने के भीतर आदेश पारित किया है। आदेश के अंत में मैंने इस विचार को मजबूती से रखा है कि इस तरह के मामलों पर तीन महीनों में फैसला कर दिया जाना चाहिये। क्योंकि इस तरह की तमाम अर्जियां सालों से लंबित पड़ी हैं।’’

नायडू ने कहा कि उन्हें लगता था कि उनके फैसले का देश में स्वागत किया जायेगा। बेशक, लोग इसका स्वागत कर रहे हैं लेकिन कुछ लोग पूछ रहे हैं कि सभापति ने तीन महीने में ही आदेश क्यों पारित कर दिया। उल्लेखनीय है कि जदयू के बागी सांसद यादव और अनवर को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आधार पर राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता आर सी पी सिंह की अर्जी पर नायडू ने चार दिसंबर को सदन की सदस्यता के अयोग्य करार दिया था।

माकपा नेता सीताराम येचुरी और आप संयोजक तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नायडू के फैसले की आलोचना करते हुये इसे राजनीतिक बदले की भावना से किया गया फैसला बताया है।प्रशासन में पारदर्शिता के लिये आरटीआई को मजबूत हथियार बताते हुये नायडू ने कहा कि ‘‘भरोसेमंद सूचनाओं तक जनता की पहुंच को व्यापक बनाने से न सिर्फ लोकतंत्र प्रगतिशील बनेगा बल्कि इससे व्यवस्था के संचालन में हर व्यक्ति की भागीदारी भी बढ़ेगी, जो लोकतंत्र की सार्थकता के लिये अनिवार्य है।’’

नायडू ने सम्मेलन में मौजूद राज्य सूचना आयोगों के प्रतिनिधियों और देश भर से जुटे सूचना के अधिकार (आरटीआई) के क्षेत्र में सक्रिय कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुये कहा कि सूचनाओं के अदान प्रदान को बढ़ावा देने से शासन की जवाबदेही सुनिश्चित होती है। उन्होंने कहा ‘‘सूचनाओं का आदान प्रदान और जनता के प्रति जवाबदेह पारदर्शी शासन, हमारे लोकतंत्र के दो प्रमुख आधार स्तंभ हैं। लोकतंत्र को अधिक प्रगतिशील तथा सार्थक बनाने के लिये विश्वसनीय सूचनाओं का जनता तक प्रसार बढ़ाना अनिवार्य है।’’

इस बार के सम्मेलन की विषयवस्तु ‘‘मामलों पर स्वत:संज्ञान लेना, रिकॉर्ड सुरक्षित रखना और आरटीआई के प्रवर्तन के दौरान उभरते नये मुद्दे’’ है। वार्षिक सम्मेलन में राज्यों के सूचना आयुक्तों, सरकारी अधिकारियों, छात्रों, शोधकर्ताओ और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर केन्द्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्री जितेन्द्र सिंह भी मौजूद थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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