बच्चों के जीवन को शक्ल देने के लिए पिता का प्यार और मार्गदर्शन महत्वपूर्ण

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[email protected] । Jul 16 2019 8:41AM

अदालत की यह टिप्पणी एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई। उसने अपने दो बच्चों का पालन-पोषण करने का अधिकार दिये जाने की मांग की थी।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि मां प्राथमिक देखभाल करने वाली होती है, लेकिन बच्चों के जीवन को शक्ल देने के लिये पिता का प्यार और मार्गदर्शन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अदालत ने कहा कि माता-पिता का अलग होना बच्चों की अच्छी परवरिश के लिये उपयुक्त नहीं है। अदालत की यह टिप्पणी एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई। उसने अपने दो बच्चों का पालन-पोषण करने का अधिकार दिये जाने की मांग की थी। अदालत ने यह कहकर याचिका खारिज कर दी कि दोनों बच्चों की भलाई माता-पिता दोनों के साथ रहने और साझा परवरिश में है।

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महिला ने अगस्त 2006 में अमेरिका में एक व्यक्ति से सिविल विवाह किया था। दिसंबर 2007 में दोनों की नयी दिल्ली में पारंपरिक तरीके से शादी हुई थी। उन्होंने 2011 से 2016 के बीच अमेरिका में दंत चिकित्सक के रूप में एक साथ काम किया। अगस्त 2012 में दोनों को एक बेटी हुई। महिला ने आरोप लगाया था कि उसे कई आधारों पर अपने पति और उसके परिवार से रंजिश का सामना करना पड़ा। उसने आरोप लगाया कि बच्चे के जन्म के बाद भी वैवाहिक कलह जारी रही और जनवरी 2016 में, वह अपने भाई की शादी के लिए भारत आई और यहाँ स्थायी रूप से बसने का फैसला किया।

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तब उसे पता चला कि वह गर्भवती है और सितंबर 2016 में उसने एक लड़के को जन्म दिया। भारत और अमेरिका में पति-पत्नी के बीच मुकदमेबाजी के कई दौर चले। न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और ज्योति सिंह की पीठ ने एक परिवार अदालत के अगस्त 2018 के फैसले को निरस्त करने की मांग करने वाली महिला की अपील पर सुनवाई पर यह फैसला सुनाया।

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