उप्र में शीला CM पद की उम्मीदवार, प्रियंका कर सकती हैं प्रचार
कांग्रेस ने आज दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया।
कांग्रेस ने आज दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दीक्षित के नाम का ऐलान किया। कांग्रेस ने इसके साथ ही राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया। पार्टी ने चुनाव के लिए समन्वय समिति बनाने का भी ऐलान किया जिसके प्रमुख प्रमोद तिवारी होंगे। पार्टी ने इसके साथ ही यह भी जानकारी दी कि प्रियंका गांधी को पूरे उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करने का प्रस्ताव दिया गया है जिस पर उनका सकारात्मक रुख है।
संवाददाता सम्मेलन में मौजूद पार्टी के प्रदेश मामलों के प्रभारी गुलाम नबी आजाद से जब शीला को दिल्ली में कथित टैंकर घोटाला मामले में मिले एसीबी के नोटिस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भाजपा के भी कुछ मुख्यमंत्री जाँच का सामना कर रहे हैं यदि वह इस्तीफा दे देते हैं तो हम भी अपना उम्मीदवार वापस ले लेंगे।
दूसरी ओर, अपने नाम की घोषणा के बाद शीला ने कहा कि वह इस जिम्मेदारी को प्रदान करने के लिए हाईकमान का शुक्रिया अदा करती हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में चुनौती भले बहुत बड़ी हो लेकिन पार्टी पूरी एकजुटता के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी और निश्चित रूप से परिणाम अच्छे आएँगे।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सिफारिश की थी कि दीक्षित को राज्य में पार्टी के चुनाव प्रचार में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए क्योंकि वह एक प्रमुख ब्राह्मण हस्ती हैं और मतदाताओं के लिहाज से काफी बड़ी संख्या रखने वाले तबके का खोया समर्थन कांग्रेस के पक्ष में लौटाने में मदद कर सकती हैं।
78 वर्षीय शीला दीक्षित उत्तर प्रदेश के प्रमुख कांग्रेसी नेता उमाशंकर दीक्षित की पुत्रवधू हैं जो लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल भी रहे थे। तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री और केरल की राज्यपाल रहीं शीला दीक्षित ने इस महीने की शुरूआत में कहा था कि उत्तर प्रदेश की पुत्रवधू होने के नाते वह राज्य में कोई भी भूमिका निभाने को तैयार हैं। दीक्षित ने पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की थी जिस दौरान समझा जाता है कि उन्हें संकेत दे दिया गया था कि उन्हें उत्तर प्रदेश में प्रमुख भूमिका निभानी है।
भारत का पारंपरिक वोट बैंक रहा ब्राह्मण समुदाय मंदिर-मंडल की राजनीति के बाद भाजपा की ओर खिसक गया था और कांग्रेस में एक तबके का मानना था कि उसे इस समुदाय का समर्थन दोबारा हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए। ब्राह्मण मतों का एक बड़ा हिस्सा पूर्व में मायावती की बसपा के पास चला गया था। उस समय उन्होंने इस समुदाय के कई उम्मीदवारों को टिकट दिए थे। मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई सीटों के चुनावी नतीजे इस समुदाय के समर्थन पर निर्भर करते हैं।
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