राहुल को मंदसौर न जाने पर शिवसेना ने मप्र सरकार को आड़े हाथों लिया

[email protected] । Jun 15 2017 5:15PM

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मंदसौर जाने से रोके जाने पर मध्य प्रदेश सरकार पर बरसते हुए शिवसेना ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए घातक है और विपक्षी नेताओं तथा पीड़ितों के बीच दीवार खड़ी करना गलत है।

मुंबई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मंदसौर जाने से रोके जाने पर मध्य प्रदेश सरकार पर बरसते हुए शिवसेना ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए घातक है और विपक्षी नेताओं तथा पीड़ितों के बीच दीवार खड़ी करना गलत है। शिवसेना ने रेखांकित किया कि भाजपा राहुल गांधी को लगातार कमजोर और अप्रभावी नेता कहती रही है, और कहा कि अगर ऐसा है तो उन्हें मंदसौर में प्रवेश करने से रोकने की कोई वजह नहीं है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं को 'सरकार की बर्बरता से प्रभावित' लोगों के परिवारों से मिलने का पूरा अधिकार है। छह जून को मंदसौर में ऋण माफी और अपनी उपज के उचित मूल्य की मांग कर रहे किसानों का आंदोलन हिंसक हो गया था जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई थी।इसके अलावा, मंदसौर के बडवान गांव के 26 वर्षीय किसान की कथित तौर पर पुलिस द्वारा पिटाई के बाद मौत हो गई थी। इन घटनाओं के मद्देनजर राहुल मंदसौर जाकर मृतकों के परिजनों से मिलना चाहते थे लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी गई। बाद में पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को भी पुलिस ने मंदसौर पहुंचने से पहले लौटा दिया था।

संपादकीय में कहा गया, 'पहले राहुल गांधी को और फिर हार्दिक पटेल को पुलिस की गोलीबारी में मारे गए किसानों के परिवारों से मिलने से रोका गया और हिरासत में लिया गया। यह बताता है कि मध्य प्रदेश में स्थिति कितनी गंभीर है।' संपादकीय में कहा गया, 'जब कभी सरकार इस तरह की बर्बरता में शामिल होती है तो हमारा लोकतंत्र हर संवेदनशील नेता को पीड़ित परिवारों से मिलने का अधिकार देता है।' भाजपा की गठबंधन सहयोगी ने कहा, 'बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति के नाम पर विपक्षी दलों के नेताओं और पीड़ितों के बीच दीवार खड़ी करना ठीक नहीं है।' शिवसेना ने पूछा कि अगर राहुल को पीड़ित परिवारों से मिलने की अनुमति दे दी जाती तो क्या आसमान टूट पड़ता? इसमें कहा गया, 'अगर सरकार के पास किसानों पर गोली चलाने की इजाजत देने और फिर उन्हें मुआवजा देने का अधिकार है तो विपक्ष के नेताओं के पास भी पीड़ितों से मिलने, उनकी दशा समझने और उनके आंसू पोछने का अधिकार है।'

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