सिख विरोधी दंगा: सज्जन के 31 दिसंबर को सपर्मण की संभावना
सज्जन कुमार के वकील अनिल कुमार शर्मा ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के फैसले का अनुपालन करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उनकी अपील पर 31 दिसंबर से पहले सुनवाई की संभावना नहीं है।
नयी दिल्ली। सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में उम्र कैद की सजा पाने वाले कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार 31 दिसंबर को अदालत में समर्पण कर सकते हैं क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में उनकी अपील पर इससे पहले सुनवाई की संभावना नहीं है। शीतकालीन अवकाश के कारण उच्चतम न्यायालय एक जनवरी तक बंद है। न्यायालय दो जनवरी से सामान्य कामकाज करेगा। सज्जन कुमार के वकील अनिल कुमार शर्मा ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के फैसले का अनुपालन करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उनकी अपील पर 31 दिसंबर से पहले सुनवाई की संभावना नहीं है।
1984 Sikh Riots case: Witness Sheela Kaur identifies Sajjan Kumar as an accused in the Sultanpuri Riots incident.
— ANI (@ANI) September 10, 2015
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर को 73 वर्षीय पूर्व सांसद सज्जन कुमार को शेष सामान्य जीवन के लिये उम्र कैद और पांच अन्य दोषियों को अलग अलग अवधि की सजा सुनायी थी और उन्हें 31 दिसंबर तक समर्पण करने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय ने 21 दिसंबर को अदालत में समर्पण की अवधि 30 जनवरी तक बढ़ाने का सज्जन कुमार का अनुरोध अस्वीकार कर दिया था। सिख विरोधी दंगों से संबंधित यह मामला दक्षिण पश्चिम दिल्ली की पालन कालोनी के राज नगर पार्ट-I में 1-2 नवंबर, 1984 को पांच सिखों की हत्या और एक गुरूद्वारे को जलाने की घटना के संबंध में है।
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तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनकी सुरक्षा में तैनात दो सिख अंगरक्षकों द्वारा गोली मार हत्या करने की घटना के बाद दिल्ली और देश के कुछ अन्य राज्यों में सिख विरोधी दंगे भड़क गये थे। सज्जन कुमार ने उच्च न्यायालय से समर्पण की अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुये कहा था कि उन्हें अपने बच्चों और संपत्ति से संबंधित कुछ पारिवारिक मसले निबटाने हैं और शीर्ष अदालत में इस फैसले को चुनौती देने के लिये भी समय की आवश्यकता है। सज्जन कुमार के वकील ने बताया कि शीर्ष अदालत में 22 दिसंबर को दायर अपील की त्रुटियों को दूर कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि चूंकि इस समय शीर्ष अदालत में अवकाश चल रहा है, इसलिए इस पर शीर्ष सुनवाई का अनुरोध करने के लिये उल्लेख करने का भी अवसर नहीं है। ऐसी स्थिति में समय का अभाव है।
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