मेरठ की सिवालखास विधानसभा क्षेत्र ,पिछले छह चुनावों में अलग-अलग दल के विधायकों ने विजय फहराई पताका

मेरठ की सिवालखास विधानसभा क्षेत्र
राजीव शर्मा । Jan 17 2022 4:56PM

मेरठ और बागपत लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सिवालखास विधानसभा जिले की महत्वपूर्ण सीटों में से है। इस ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली सीट की खासियत है कि पिछले छह विधानसभा चुनावों के दौरान कोई भी दल लगातार दूसरी बार यहां से चुनाव नहीं जीत सका है।

मेरठ और बागपत लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सिवालखास विधानसभा जिले की महत्वपूर्ण सीटों में से है। इस ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली सीट की खासियत है कि पिछले छह विधानसभा चुनावों के दौरान कोई भी दल लगातार दूसरी बार यहां से चुनाव नहीं जीत सका है।

मेरठ जिले में सिवालखास सीट आपातकाल से पूर्व परिसीमन मे 1974 में विधानसभा सीट घोषित किया गया। 1974 में विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस विजयी रही। 1977 में जनता दल ने जीत हासिल की। इसके बाद 1980 और 1985 के चुनावों में कांग्रेस के विधायक निर्वाचित हुए, लेकिन पिछले छह विधानसभा चुनावों में सिवालखास पर कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई। वर्ष 2008 में इस सीट का परिसीमन किया गया। 2017 विधानसभा चुनाव में सिवालखास सीट पर भाजपा के जितेंद्र पाल सिंह उर्फ जितेन्द्र सतवाई विधायक बने। उन्होंने समाजवादी पार्टी के गुलाम मोहम्मद को हराया। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा से गुलाम मोहम्मद विधायक निर्वाचित हुए थे। उन्होंने रालोद के यशवीर सिंह को हराया था। खास बात यह है कि सिवालखास सीट 2007 तक आरक्षित सीट थी, लेकिन 2012 में यह सीट अनारक्षित हो गई। तब से अनारक्षित सीट पर चुनाव हो रहा है।

सिवालखास सीट पर पिछले छह चुनावों में अलग-अलग दल के विधायकों ने विजय पताका फहराई है। वैसे लोग यह भी कहते हैं कि सिवालखास विधानसभा सीट तो चौधरी साहब को भी परेशान करती थी। सिवालखास विधानसभा में चार नगर पंचायतें सिवालखास, हर्रा, खिवाई और करनावल शामिल हैं। इसके अलावा तीन ब्लॉक सरूरपुर, रोहटा और जानीखुर्द आते हैं। वैसे तो यह मिश्रित आबादी का क्षेत्र है।

सिवालखास विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या तीन लाख 37 हजार चार है। जिसमें एक लाख 16 हजार मुस्लिम, 60 से 70 हजार जाट, 48 हजार दलित, 30 हजार त्यागी-ब्राह्माण, 16 हजार गुर्जर, 16 हजार ठाकुर और लगभग 50 हजार में पाल, कश्यप, प्रजापति, सैनी, वाल्मिकि, जोगी आदि आते हैं। यहां करीब चार हजार यादव मतदाता हैं।

सिवालखास विधानसभा में खेती-किसानी अहम मुद्दा है। यहां का किसान ज्यादातर गन्ने की पैदावार करता है। गन्ना मूल्य, गन्ने का भुगतान यहां का अहम मुद्दा है। इसके अलावा कूड़ा प्रबंधन, कानून व्यवस्था का मुद्दा भी चुनाव में शामिल है। यह ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां किसान आंदोलन का सबसे अधिक प्रभाव रहा।

वही  सत्ताधारी भाजपा के मौजूदा  विधायक जितेन्द्र पाल सिंह सतवाई का दवा है की 2017 से पहले सिवालखास में विकास कहीं देखने को नहीं मिलता था। पिछले पांच साल के दौरान क्षेत्र में करोड़ों रुपये की लागत से रिकॉर्ड विकास किया गया है। कई बिजलीघर, सड़क चौड़ीकरण, सिंचाई के लिए सरकारी नलकूप, आठ नए पुलों का निर्माण, छह करोड़ की लागत से स्टेडियम, 25 करोड़ की लागत से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों का निर्माण कराया है। क्षेत्र की जनता ने पांच साल के कामों को अच्छी तरह से देखा है।

वही सपा से विधायक रहे 2017 के व उप विजेता गुलाम मोहम्मद  का आरोप है की पिछले पांच साल में सिवालखास विधानसभा में कुछ नहीं हुआ। 2012 से 2017 तक उनके द्वारा क्षेत्र में 14 कॉलेज, सात बिजलीघर, चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनवाने के अलावा लोहिया व जनेश्वर मिश्र योजना के तहत बिना भेदभाव करोड़ों के सीसी रोड बनवाए। हर्रा व खिवाई को नगर पंचायत का दर्जा दिलाया। क्षेत्र की जनता सब देख रही है। अब चुनाव में फैसला जनता के हाथ में है।

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