स्वर्ण मंदिर परिसर में खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी

[email protected] । Jun 6 2017 2:35PM

सिख कट्टरपंथियों ने ऑपरेशन ब्लूस्टार के 33 साल पूरे होने पर पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में खालिस्तान के समर्थन में आज नारे लगाए गए। इस अवसर पर शहर बंद भी रहा।

अमृतसर। सिख कट्टरपंथियों ने ऑपरेशन ब्लूस्टार के 33 साल पूरे होने पर यहां स्वर्ण मंदिर परिसर में खालिस्तान के समर्थन में आज नारे लगाए गए। स्वर्ण मंदिर में छुपे सशस्त्र आतंकवादियों के सफाए के लिए वर्ष 1984 में चलाए गए सैन्य अभियान के 33 साल पूरे होने पर कट्टरपंथी सिख संगठन ‘दल खालसा’ की अपील पर पवित्र शहर में बंद भी रहा। कानून व्यवस्था को बाधित करने की हर संभावित कोशिश को नाकाम करने के लिए एसजीपीसी के कार्य बल के साथ सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।

अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने जब अपना रस्मी संबोधन आरंभ किया जो सिमरनजीत सिंह मान के नेतृत्व में शिअद (अ) के समर्थकों ने ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए। इस नारेबाजी के बावजूद जत्थेदार ने सिख समुदाय को अपना संबोधन देना जारी रखा। कुछ सिख कट्टरपंथियों ने गुरबचन सिंह के खिलाफ भी नारेबाजी की। ‘सरबत खालसा’ द्वारा घोषित ‘‘समानांतर’’ जत्थेदार ध्यान सिंह मंड ने अकाल तख्त के भूतल से दिए अपने संबोधन में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पर शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधन समिति (एसजीपीसी) समेत सिखों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।

मान ने कहा कि एसजीपीसी प्रमुख किरपाल सिंह बडूंगर ने उन्हें सोमवार को भरोसा दिलाया था कि जत्थेदार को अकाल तख्त के मंच से सिख समुदाय को संबोधित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बडूंगर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी से समुदाय को संबोधित करने को कहा जाएगा। मान ने दावा किया कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने बडूंगर पर दबाव बनाया और उन्हें समुदाय को संबोधित करने के लिए मुख्य ग्रंथी की जगह ज्ञानी गुरबचन सिंह को भेजने पर मजबूर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सुखबीर सिंह बादल ने स्वर्ण मंदिर परिसर में समस्या पैदा करने का षड़यंत्र रचा है। ‘‘लेकिन हमने उनके नापाक इरादों को असफल कर दिया’’ क्योंकि ऑपरेशन ब्लूस्टार के 33 साल पूरे होने पर कोई हिंसा नहीं हुई।

मान ने अकाल तख्त के जत्थेदार पर सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की माफी स्वीकार करके सिख समुदाय की भावनाओं को कथित रूप से ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। बाद में सिख समुदाय द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद दी गई माफी को वापस ले लिया गया गया था। मान ने यह भी मांग की कि गुरबचन सिंह को इस पद से तत्काल हटाया जाए। ज्ञानी गुरबचन सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘दुनियाभर में सिख समुदाय ऑपरेशन ब्लूस्टार के जख्मों को याद रखेगा जो अभी तक भरे नहीं हैं।’’

पंजाब में सुरक्षाकर्मियों को अत्यधिक सतर्क रहने को कहा गया है। इस आशंका के चलते कि सिख कट्टरपंथी स्वर्ण मंदिर में अकाल तख्त जत्थेदार के रस्मी संबोधन को बाधित कर सकते हैं, अमृतसर शहर को किले में तब्दील कर दिया गया है और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्धसैन्य बलों की सात कंपनियों के करीब 5000 सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। पंजाब के विभिन्न हिस्सों में सीआरपीएफ, आईटीबीपी, आरएएफ समेत अर्धसैन्य बलों की 15 कंपनियां तैनात की गई हैं।

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