सोहराबुद्दीन मामले में CBI पुनर्विचार याचिकाओं पर रूख करे स्पष्ट: HC
बंबई उच्च न्यायालय ने गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में, तीन सेवारत और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों को दोषमुक्त करने के खिलाफ रूबाबुद्दीन शेख की पुनर्विचार याचिका पर सीबीआई को अपना रूख स्पष्ट करने को कहा।
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में, तीन सेवारत और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों को दोषमुक्त करने के खिलाफ रूबाबुद्दीन शेख की पुनर्विचार याचिका पर सीबीआई को अपना रूख स्पष्ट करने को कहा। न्यायमूर्ति ए एम बदर ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) स्पष्ट करे कि राजकुमार पांडियन, दिनेश एम एन और डीजी वंजारा को 13 साल पुराने मामले में जांच एजेंसी की ओर से उनके खिलाफ पेश सबूतों के मद्देनजर अधिकारियों को सुनवाई का सामना करना चाहिए या नहीं।
रूबाबुद्दीन शेख सोहराबुद्दीन का भाई है। सोहराबुद्दीन एक गैंगस्टर था जिसके कथित आंतकी संपर्क थे। नवंबर 2005 में गुजरात पुलिस ने उसे उसकी पत्नी कौसर बी के साथ कथित फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था। उनका साथी तुलसीराम प्रजापति को दिसंबर 2006 में गुजरात और राजस्थान पुलिस ने एक अन्य कथित मुठभेड़ में मार दिया था। इन तीनों मामलों को जोड़ दिया गया है।
न्यायमूर्ति बदर पांच पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर कर रहे हैं, जिनमें से तीन रूबाबुद्दीन शेख ने दायर की है जबकि दो अर्जियां सीबीआई की हैं। इनमें निचली अदालत की ओर से गुजरात और राजस्थान के कुछ अधिकारियों को आरोप मुक्त करने को चुनौती दी गई है। रूबाबुद्दीन शेख ने पांडियन और दिनेश (राजस्थान पुलिस के सेवरात अधिकारी) और वंजारा को आरोपमुक्त करने को चुनौती दी है। वंजारा गुजरात एटीएस के अधिकार थे जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
सीबीआई ने गुजरात के आईपीएस अधिकारी एन के अमीन (सेवानिवृत्त) और राजस्थान पुलिस के कांस्टेबल दलपत सिंह राठौड़ को आरोप मुक्त करने को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति बदर ने दिनेश को आरोप मुक्त करने पर दलीलें सुनने से पहले आज सीबीआई को ये निर्देश दिए। सीबीआई ने कहा कि उसका संबंध सिर्फ उन दो याचिकाओं से है जो उन्होंने अदालत में दायर की हैं।
इस पर न्यायमूर्ति बदर ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी मामले में अभियोजन है। इसलिए इसे सभी याचिकाओं पर दलीलें देनी चाहिए। न्यायाधीश ने कहा कि हम यहां तीन लोगों (सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और प्रजापति) की हत्या के मामले देख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘आपको अपने आरोप पत्र में सबूतों पर विचार करते हुए अपना रूख इस पर स्पष्ट करना चाहिए कि इन अधिकारियों को सुनवाई का सामना करना चाहिए या नहीं।’
न्यायमूर्ति बदर सभी पांच याचिकाओं पर रोजाना सुनवाई कर रहे हैं। सीबीआई ने 38 लोगों को आरोपी बनाया था जिनमें से वंजारा, पांडियन, दिनेश और भाजपा प्रमुख अमित शाह समेत 15 को मुंबई की सीबीआई अदालत ने अगस्त 2016 से सितंबर 2017 के बीच आरोपमुक्त कर दिया है।
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