सोनिया ने सरकार को कोसा, ध्रुवीकरण का आरोप लगाया
सोनिया गांधी ने आज आरोप लगाया कि मोदी सरकार समाज का ध्रुवीकरण कर रही है और लोगों पर अपनी संकुचित मानसिकता थोपने के लिए अपने संसदीय बहुमत का गलत इस्तेमाल कर रही है।
नरेंद्र मोदी सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज आरोप लगाया कि वह संस्थानों को अस्थिर कर रही है, समाज का ध्रुवीकरण कर रही है और लोगों पर अपनी संकुचित मानसिकता थोपने के लिए अपने संसदीय बहुमत का गलत इस्तेमाल कर रही है। संसद में जारी मानसून सत्र में कांग्रेस के संसदीय दल की पहली बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने सरकार पर ‘‘झूठ बोलने’’ और ‘‘मार्केटिंग स्लोगन’’ देने का आरोप लगाया। उन्होंने गुजरात में हुई एक घटना की ओर इंगित किया जिसमें राज्य में चार दलितों की सार्वजनिक रूप से पिटाई और उनका अपमान किया गया था और कहा कि मोदी सरकार दलितों तथा आदिवासियों से उनके अधिकार छीन रही है।
गुजरात की इस घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह तो महज एक उदाहरण है कि यह सरकार किस तरह सामाजिक आतंक को हवा दे रही है।’’ सोनिया ने कहा, ‘‘बीते कुछ महीनों में हमने देखा है कि संस्थानों को अस्थिर करने और समाज का ध्रुवीकरण करने की मोदी सरकार की योजना किस तरह संवैधानिक मूल्यों को नुकसान पहुंचा रही है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘मोदी सरकार हमारे लोगों पर अपनी मानसिकता थोपने के लिए अपने संसदीय बहुमत का गलत इस्तेमाल कर रही है। ऐसा लगता है कि सरकार यह भूल गई है कि संसदीय बहुमत कभी भी संविधानवाद और इसके आदर्शों का पालन करने से रोकने की वजह नहीं बन सकता है।’’ गांधी ने कश्मीर घाटी के हालात का जिक्र भी किया जहां हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद बीते 11 दिन से चिंताजनक हालात बने हुए हैं। यहां हुई झड़पों में अब तक 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘घाटी में हाल में हुई घटनाएं दुखदायी हैं। इन्होंने देश के सामने गंभीर खतरा पेश किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं हो सकता। आतंकवादियों के साथ कड़ाई से निबटना होगा। लेकिन हमें खुद से यह तो पूछना ही होगा कि ऐसी क्या बात है कि युवा इस हद तक हिंसा पर उतारू हो गए हैं।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘मोदी सरकार की विदेश नीति और प्रधानमंत्री के लगातार होते विदेश दौरे, दुनियाभर के नेताओं से उनके दोस्ताना संबंध, जन्मदिन पर तात्कालिक फोन कॉलों के बीच कोई संबंध नजर नहीं आता। पाकिस्तान को लेकर मोदी सरकार की विदेश नीति एक सीमा से दूसरी सीमा के बीच झूलती रहती है। ऐसा लगता है कि हमारी सरकार सुरक्षा और प्रतिरक्षा के मसले पर देश का रूख लगातार बदल रही है और उन नीतियों से पूरी तरह से अलग हो रही है जो वक्त के साथ सही साबित हुई है।’’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दे रही है और निर्णय लेने की उसकी प्रक्रिया ‘‘अपारदर्शी’’ है जिसका देश की अखंडता पर असर पड़ रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार पर झूठ फैलाने का भी आरोप लगाया और कहा कि वह उपलब्धियों के ‘‘बुलबुले’’ बना रही है। सोनिया ने रोजगार निर्माण, आयात और कीमतों पर सरकार के रिकॉर्ड पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘झूठ बोलना इस सत्तारूढ़ पार्टी के लिए कोई नई बात नहीं है। आंकड़ों को दरकिनार करने, गलत दावों का प्रचार करने और विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर आधारहीन आरोप लगाने में वह दक्ष है। सत्ता में उन्हें दो साल पूरे हो गए हैं लेकिन वह उपलब्धियों के बुलबुले बना रही है। उनकी असल उपलब्धि क्या है? सरकार को ‘‘अच्छा मार्केटियर (विक्रेता)’’ बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमारे सामने एक ऐसी सरकार है जो मार्केटिंग के दिखावटी कार्यक्रमों, मार्केटिंग नारों, रिपैकेजिंग, दिखावट और बढ़ा-चढ़ाकर बताने में माहिर है। हम भले ही संख्या में कम हों लेकिन हम अपने काम से पहचान बनाऐंगे और संसद के जरिए जवाबदेही की मांग करते रहेंगे।
भाजपा शासित राज्यों में कथित घोटालों की ओर ध्यान दिलाते हुए सोनिया गांधी ने पूछा, ‘‘महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों में सामने आए घोटालों का क्या हुआ? ऐसा लगता है कि उन्हें दफना दिया गया। फिर भी वह भ्रष्टाचार को रोकने का दावा करते हैं।’’ सरकार की ‘‘परस्पर विरोधी’’ विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा कि एनएसजी सदस्यता की भारत की कोशिश क्यों असफल हो गई।
सोनिया ने कहा, ‘‘एनएसजी सदस्यता पर सरकार की खराब नीति के कारण हमें असफलता का मुंह देखना पड़ा। यह 2008 में संप्रग को मिली उपलब्धि के ठीक विपरित है। नेपाल के साथ हमारे संबंध अब तक के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं।’’ सरकार के आर्थिक विकास के दावों में खामियों की ओर इंगित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब विकास और जीडीपी के आंकड़ों की बात आती है तो वे बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं, जिनकी सच्चाई पर उनकी अपनी ही पार्टी के नेता सवाल उठाते हैं। भाजपा ने संप्रग सरकार की एफडीआई से जुड़ी हर पहल को रोक दिया। अब वे प्रतिरक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी सभी के लिए खुली नीति ले आए हैं।’’
सोनिया ने सरकार पर न्यायपालिका तथा सिविल सोसायटी के साथ उसके टकराव, जीडीपी से जुड़े आंकड़ों, गुजरात पेट्रोलियम कॉपरेरेशन घोटाला और हरियाणा में हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान पेन बदलने के ‘‘इससे पहले कभी नहीं देखे गए कारनामे’’ का लेकर भी मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, ‘‘न्यायपालिका, सिविल सोसयटी और छात्र संगठनों के साथ लगातार टकराव हो रहा है और बहस को खत्म किया जा रहा है।’’
बढ़ती कीमतों के मसले पर भी सरकार पर हमलावर होते हुए सोनिया ने कांग्रेसी सांसदों को आक्रामक रूख बनाए रखने और सरकार तथा इसके मंत्रियों को जवाबदेह बनाने को कहा। इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा और लोकसभा में पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत पार्टी के सांसद मौजूद थे।
अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘एक ओर प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार के लिए संविधान पूजनीय है। दूसरी ओर, पहले अरुणाचल प्रदेश और फिर उत्तराखंड में संविधान पर हुए प्रहार पर उन्हें कोई पछतावा नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सौभाग्य से स्वतंत्र और निर्भय न्यायपालिका ने उन्हें संविधान के नियमों और मूल्यों की याद दिला दी।’’ सोनिया ने यह भी कहा, ‘‘इसके प्रति हम उदासीन नहीं हो सकते हैं क्योकि इसी तरह की चालें कांग्रेस शासित अन्य राज्यों में भी चली जा रही हैं।’’
भीषण सूखे की चपेट में आए किसानों की उच्चतम न्यायालय के दखल के बावजूद मदद करने में सरकार की निष्क्रियता को सोनिया ने ‘‘खेदजनक’’ करार दिया। सोनिया ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘ग्रामीण इलाके बड़े पैमाने पर संकट का सामना कर रहे हैं लेकिन लगता है कि मोदी सरकार को इसकी कोई चिंता ही नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार द्वारा गठित किए गए पंचायती राज मंत्रालय को सरकार पैसा नहीं दे रही है और इसे ‘‘धीरे-धीरे खत्म’’ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार मजदूर संगठनों को भी अनसुना कर रही है, उनकी बचत की सुरक्षा को घटा रही है। सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं में सरकारी कर्मचारियों तथा सैन्य बलों के साथ भी ‘‘अन्याय’’ किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा शासित राज्य शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों की स्वायत्ता को खत्म कर रही है।’’ उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह आदिवासियों, दलितों और वनों में रहने वाले अन्य पारंपरिक वर्गों के ‘‘अधिकारों को छीन’’ रही है और ‘‘पर्यावरण के नियमों को योजनाबद्ध तरीके से कमजोर कर रही है और उन्हें पलट रही है।’’
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