राज्यसभा में गतिरोध कायम: AIADMK, DMK के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई

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[email protected] । Jan 2 2019 5:15PM

सदन में हंगामा थमते नहीं देख उप-सभापति हरिवंश ने करीब तीन बजे बैठक को पूरे दिन के स्थगित कर दिया। इससे पहले भी हंगामे के कारण बैठक को चार बार संक्षिप्त समय के लिए स्थगित किया जा चुका था।

नयी दिल्ली। कावेरी नदी पर बांध के निर्माण का विरोध कर रहे अन्नाद्रमुक एवं द्रमुक सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा में बुधवार को भी गतिरोध बना रहा तथा सभापति एम वेंकैया नायडू ने आसन के समीप आकर नारेबाजी कर रहे तमिलनाडु के इन दोनों दलों के 12 सदस्यों पर पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने से रोक लगा दी और उन्हें सदन से बाहर चले जाने को निर्देश दिया। आसन के निर्देश के बावजूद ये सदस्य सदन से बाहर नहीं गए। सदन में हंगामा थमते नहीं देख उप-सभापति हरिवंश ने करीब तीन बजे बैठक को पूरे दिन के स्थगित कर दिया। इससे पहले भी हंगामे के कारण बैठक को चार बार संक्षिप्त समय के लिए स्थगित किया जा चुका था।

सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने हंगामे के कारण सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल असर पड़ने का हवाला देते हुए सभी सदस्यों से कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में सकारात्मक योगदान की अपील की। नायडू ने गत 11 दिसंबर से शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद अब तक चक्रवाती तूफान से हुए नुकसान, कृषि संकट सहित विभिन्न अहम मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाने पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि सदन में कार्यवाही नहीं हो पाने के कारण संसद की प्रतिष्ठा दांव पर है। इसके बाद शून्य काल में ही विभिन्न दलों के सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। अन्नाद्रमुक के सदस्य कावेरी नदी पर बांध के निर्माण का विरोध करते हुए आसन के समीप आ गए। हंगामे के बीच ही तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन, नदीमुल हक और राजद के मनोज झा ने लोक महत्व के अलग-अलग मुद्दे उठाए। 

शोरगुल नहीं थमने पर नायडू ने सदन की बैठक 11 बजकर 25 मिनट पर 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। एक बार के स्थगन के बाद बैठक पुन: शुरू होते ही उप-सभापति हरिवंश ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे बैठक फिर शुरू होने पर सदन में वही नजारा देखने को मिला और बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर सभापति नायडू ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू करने संबंधी संकल्प पर चर्चा शुरू कराने के लिए कहा। इसी बीच, अन्नाद्रमुक और द्रमुक के सदस्य आसन के निकट आकर कावेरी पर बांध बनाए जाने के विरोध में नारेबाजी करने लगे। 

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हंगामे के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू करने के पीछे की परिस्थितियों के बारे में बताया। लेकिन शोरगुल के कारण उनकी बात सुनी नहीं जा सकी। इसके बाद सभापति ने नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद को इस संकल्प के बारे में अपनी बात रखने को कहा। आजाद बोलने के लिए खड़े भी हुए, किंतु हंगामे के कारण वह अपनी बात शुरू नहीं कर पाए। इसके बाद नायडू ने नियम 255 और 256 का संदर्भ देते हुए अन्नाद्रमुक और द्रमुक के 12 सदस्यों का नाम पुकारा। सदन के नियम 255 के तहत सभापति किसी भी सदस्य के आचरण को लेकर उन्हें सदन से बाहर जाने और उस पूरे दिन सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लेने का निर्देश देते हैं।

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नायडू ने नारेबाजी कर रहे अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन, एस मुथुकरप्पन, एन गोकुलकृष्णन, ए के सेल्वराज, आर लक्ष्मणन, एस आर बालासुब्रह्मण्यम, वी विजयकुमार और विजिला सत्यनाथन सहित आठ और द्रमुक के तिरुची शिवा, आर एस भारती, टी के एस एलनगोवन और कनिमोई का नाम लिया। इसके बाद भी यह 12 सदस्य आसन के समक्ष नारेबाजी करते रहे। इसके चलते बैठक संक्षिप्त रूप से दो बार स्थगित करनी पड़ी। चार बार के स्थगन के बाद तीन बजे बैठक शुरू होने पर सदन में वही नजारा देखने को मिला। अन्नाद्रमुक और द्रमुक के सदस्य आसन के समक्ष नारेबाजी कर रहे थे। उप-सभापति हरिवंश ने इन सदस्यों से सदन से बाहर चले जाने और सदन की कार्यवाही सुचारू तरीके से चलने देने की अपील की। सदन में हंगामा थमते नहीं देख हरिवंश ने कुछ क्षण बाद ही बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

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