अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये जब भी जरूरत होगी, कदम उठाये जाएंगे: वित्त मंत्री
माल एवं सेवा कर परिषद की बैठक से पहले सीतारमण ने कहा कि राजस्व बढ़ाने के लिये जीएसटी दरों में वृद्धि को लेकर चर्चा मेरे दफ्तर को छोड़कर हर जगह है। बृहस्पतिवार को जारी ये आंकड़े अर्थव्यवस्था में गहराती नरमी का संकेत है।
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था के दबाव ग्रस्त क्षेत्रों के लिये और भी प्रोत्साहन उपाय किए जाने का शुक्रवार को वादा किया। हालांकि उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये अबतक उठाये कदमों से खपत बढ़ेगी और वृद्धि दर मजबूत होगी। सीतारमण ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार यह जानती है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति का राज्यों का पैसा बकाया है और इस मामले में केंद्र अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करेगा। अर्थव्यवस्था की स्थिति की जानकारी देने के लिए राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सीतारमण ने कहा कि सरकार आर्थिक वृद्धि को गति देने के जिये जब भी जरूरत होगी, कदम उठाएगी। उनके साथ वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम भी थी। यह पूछे जाने पर कि उन्हें अर्थव्यवस्था में कबतक तेजी आने की उम्मीद है, उन्होंने किसी अटकलबाजी में पड़ने से इनकार किया।
FM: Onions are a fast perishable commodity. Due to rain in some places, flooding in some other, crop extent was less and hence the less output. Due to this it has gone out of certain reasonable level. Govt is taking steps to import & bring onions to the market as soon as possible https://t.co/V8cY9LXQxK
— ANI (@ANI) December 13, 2019
सीतारमण ने कहा, ‘‘मैं अर्थव्यवस्था को देख रही हूं, जहां मुझे हस्तक्षेप की जरूरत हैं, दखल दे रही हूं और संकट से प्रभावित उद्योगों की समस्या का समाधान करती रहूंगी।’’ उन्होंने गतिहीन स्फीति (स्टैगफ्लेशन) की स्थिति कहे जाने के बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया। महंगाई दर ऊंची होने के साथ आर्थिक वृद्धि जब घटती है तो उसे गतिहीन स्फीति कहते हैं। खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में 5.54 प्रतिशत पर पहुंच गयी जो तीन साल से अधिक समय का उच्च स्तर है। वहीं औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर में 3.8 प्रतिशत घटा। यह लगातार तीसरा महीना है जब औद्योगिक उत्पादन नीचे आया है। बृहस्पतिवार को जारी ये आंकड़े अर्थव्यवस्था में गहराती नरमी का संकेत है। आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन समेत कई अर्थशास्त्रियों ने यह आशंका जतायी है कि भारत गतिहीन मुद्रास्फीति की स्थिति में जा रहा है। देश की आर्थिक वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 6 साल के न्यूनतम स्तर 4.5 प्रतिशत रही। महंगाई बढ़ने के साथ गतिहीन स्फीति की आशंका बढ़ी है। यानी ऐसी स्थिति जहां एक तरफ मुद्रास्फीति तो बढ़ रही है वहीं दूसरी तरफ सकल मांग घट रही है। माल एवं सेवा कर परिषद की बैठक से पहले सीतारमण ने कहा कि राजस्व बढ़ाने के लिये जीएसटी दरों में वृद्धि को लेकर चर्चा मेरे दफ्तर को छोड़कर हर जगह है। वह राजस्व में कमी को पूरा करने के लिये 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत जीएसटी दरों में वृद्धि की चर्चा के बारे में पूछे गये सवालों का जवाब दे रही थीं।
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कहा जा रहा है कि राजस्व में कमी के कारण नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के क्रियान्वयन से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये किये जाने वाला भुगतान प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे दफ्तर को छोड़कर यह चर्चा हर जगह है।’’ हालांकि वित्त मंत्री ने जीएसटी दरों में वृद्धि से इनकार नहीं किया और कहा कि उनके मंत्रालय को इस पर अभी गौर करना है। उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राज्यों का जीएसटी क्षतिपूर्ति बकाया है। सीतारमण ने कहा, ‘‘हमें क्षतिपूर्ति देनी है और इसमें अविश्वास का कोई कारण नहीं है...।’’ प्याज के बढ़ते दाम पर वित्त मंत्री ने कहा कि आयात के साथ कुछ जगहों पर कीमतों के दाम घट रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाजार में प्याज की नई फसल आने के साथ कीमतों में कमी आएंगी। उन्होंने कहा कि मंत्रियों का समूह प्याज के दाम पर नियमित समीक्षा कर रहा है।
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