मोटर वाहन संशोधन अधिनियम के विरोध में हड़ताल, यात्री परेशान

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[email protected] । Sep 19 2019 5:42PM

एक सरकारी कर्मचारी किशोर लाल ने कहा कि उन्हें मेट्रो से कार्यालय जाना पड़ा क्योंकि उनकी आवासीय कालोनी से चलने वाली बस आज नहीं आई। सीजीओ कॉम्प्लेक्स में काम करने वाले लाल ने कहा, ‘‘ हमने कार्यालय जाने के लिए 15 मिनट तक बस की प्रतीक्षा की लेकिन वह नहीं आई। इसलिए अब हम मेट्रो ले रहे हैं।’’

नयी दिल्ली। मोटर वाहन संशोधन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के विरोध में यूएफटीए संगठन के आह्वान पर आयोजित हड़ताल के कारण बृहस्पतिवार को निजी बस, टैक्सी, ऑटोरिक्शा सड़कों से दूर रहे, जिससे लोगों को सुबह अपने कार्यालय जाने में खासी परेशानी हुई। हड़ताल की वजह से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कई स्कूल बंद हैं। हालांकि, कुछ स्कूलों ने बच्चों के माता-पिता से उन्हें स्कूल पहुंचाने और वापस ले जाने का प्रबंध करने को कहा था। हालांकि, दिल्ली मेट्रो और डीटीसी तथा क्लस्टर बसों पर इस बंद का असर नहीं रहा। यूनाइटेड फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन्स (यूएफटीए) के महासचिव श्यामलाल गोला ने कहा कि इस हड़ताल में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 50 से ज्यादा परिवहन संगठन और यूनियन हिस्सा ले रहे हैं।

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बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुबह लोगों को कार्यालयों तक जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि यूएफटीए संगठन की ओर से आयोजित हड़ताल के बाद निजी बस, टैक्सी, ऑटोरिक्शा सड़कों से नदारद रहे। यह हड़ताल मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के खिलाफ बुलाई गई है। यूएफटीए ने सड़क यातायात जुर्माना में हुई बढ़ोतरी समेत मोटर वाहन अधिनियम के कुछ अन्य प्रावधानों को वापस लेने की मांग की है। दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ के महासचिव राजेंद्र सोनी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में 50 छोटे और बड़े ऑटो यूनियन हैं और इनमें से ज्यादा संख्या में यूनियनों ने हड़ताल में हिस्सा लिया। दिल्ली में 90,000 से ज्यादा ऑटो हैं। इसी बीच ऐसी खबरें हैं कि बंद में हिस्सा नहीं लेने वाले कुछ ऑटो चालकों पर हमले भी हुए। हालांकि, सोनी ने इन दावों को खारिज किया और कहा कि हड़ताल शांतिपूर्ण रही है और बड़ी संख्या में ऑटो चालकों ने अपनी इच्छा से हड़ताल में हिस्सा लिया। ग्रामीण सेवा संगठन, ई-रिक्शा सहित हल्के मोटर वाहनों के संगठन ने इस हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया। यात्रियों को ऑटो या कैब नहीं मिलने से परेशानियों का सामना करना पड़ा।

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खासतौर पर रेलवे स्टेशनों और अंतरराज्यीय बस टर्मिनलों (आईएसबीटी) पर यात्रियों को ऑटो नहीं मिलने से परेशानियों का सामना करना पड़ा। वहीं, यात्रियों का यह भी कहना था कि इस दौरान आने-जाने के साधनों के लिए ज्यादा किराया वसूला गया। एक सरकारी कर्मचारी किशोर लाल ने कहा कि उन्हें मेट्रो से कार्यालय जाना पड़ा क्योंकि उनकी आवासीय कालोनी से चलने वाली बस आज नहीं आई। सीजीओ कॉम्प्लेक्स में काम करने वाले लाल ने कहा, ‘‘ हमने कार्यालय जाने के लिए 15 मिनट तक बस की प्रतीक्षा की लेकिन वह नहीं आई। इसलिए अब हम मेट्रो ले रहे हैं।’’

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