राष्ट्रपति चुनाव के लिए मुकाबला होने की प्रबल संभावना
रामनाथ कोविंद को राजग का उम्मीदवार घोषित करने के बाद कांग्रेस, वाममोर्चा समेत कुछ विपक्षी दलों की सतर्क प्रतिक्रिया के बावजूद शीर्ष संवैधानिक पद के लिए मुकाबला होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।
भाजपा की ओर से रामनाथ कोविंद को राजग का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद कांग्रेस, वाममोर्चा समेत कुछ विपक्षी दलों की सतर्क प्रतिक्रिया के बावजूद इस शीर्ष संवैधानिक पद के लिए मुकाबला होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। हालांकि भाजपा का कहना है कि इस बारे में सभी दलों से चर्चा की गई और दलित समाज से आने वाले एक व्यक्ति का सभी दलों को समर्थन करना चाहिए। संख्याबल और आंकड़ों पर गौर करें तो यह पूरी तरह से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ है।
राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के नाम पर विपक्ष बंटा हुआ नजर आ रहा है। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस, वाममोर्चा, तृणमूल कांग्रेस के कोविंद के नाम पर राज़ी होने की संभावना बेहद कम है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को कहा था, 'मुझे उम्मीद है कि इस नाम पर सभी सहमत होंगे।' राष्ट्रपति पद के लिए राजग उम्मीदवार के लिए सभी दलों के सहयोग की उम्मीद जाहिर करते हुए शाह ने कहा था कि भाजपा और राजग यह आशा करता है कि दलित के घर में जन्म लेने वाले और संघर्ष करके सार्वजनिक जीवन में मुकाम बनाने वाले रामनाथ कोविंद सर्वसम्मत प्रत्याशी होंगे। बहरहाल, बीजद, टीआरएस जैसे कई विपक्षी दलों से राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के नाम का समर्थन करने के संकेत मिले हैं। रामनाथ कोविंद के नाम पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुर भी नरम हैं। लेकिन भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने इस मुद्दे पर सीधे-सीधे समर्थन देने की जगह दलित वोटबैंक का हवाला देते हुए उम्मीदवारी पर सवाल उठाया है।
इस सब के बीच राष्ट्रपति पद के चुनाव के इतिहास में सिर्फ एक बार ही निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गए। इसके अलावा हर बार सत्तारुढ़ दल और विपक्ष के उम्मीदवार के बीच मुकाबला हुआ। नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध चुने गए थे और वे 1977 से 1982 तक राष्ट्रपति रहे। कांग्रेस से लेकर वाममोर्चा और तृणमूल ने भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ अपना प्रत्याशी खड़ा करने के संकेत दिये हैं। दूसरी तरफ मायावती ने कोविंद की उम्मीदवारी का दलित चेहरे के तौर पर खुलकर विरोध करने से परहेज़ किया है। विपक्ष इस मुद्दे पर 22 जून को बैठक कर रहा है। माकपा महासचिव सीताराम येचूरी का कहना है कि भाजपा ने एकतरफा ढंग से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। विपक्ष इस बारे में 22 जून को बैठक करेगा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सामान्य दलित परिवार से आने वाले रामनाथ कोविंद सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और सदाचार के लिये जाने जाते हैं और सभी दलों को उनका समर्थन करना चाहिए। भाजपा की सहयोगी शिवसेना भी इस नाम पर सवाल उठा रही है। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि सिर्फ दलित वोटों के लिए कोविंद को चुना गया है। इससे देश को कोई लाभ नहीं होगा। शिवसेना ने कभी किसी को ढाल बनाकर राजनीति नहीं की। उद्धव ने कहा है कि शिवसेना ने एमएस स्वामीनाथन का नाम राष्ट्रपति पद के लिए सुझाया था, जिससे किसानों को फायदा मिलता। अगर शिवसेना एनडीए उम्मीदवार का समर्थन नहीं करती है तो ये नई बात नहीं होगी। इससे पहले भी शिवसेना संप्रग उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी का समर्थन कर चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संख्या बल और आंकड़ों पर गौर करें तो यह पूरी तरह से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ है। अन्नद्रमुक, बीजू जनता दल, टीआरएस खुले तौर पर इस शीर्ष संवैधानिक पद के लिये राजग उम्मीदवार का समर्थन कर चुकी हैं। इसे ध्यान देने पर सत्ता पक्ष के पास करीब 58 फीसदी वोट दिख रहे हैं। वहीं विपक्ष के पास करीब 35 प्रतिशत वोट ही हैं। बहरहाल तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रामनाथ कोविंद को राजग का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने पर असंतोष व्यक्त किया है। ममता बनर्जी ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी या सुषमा स्वराज या एलके आडवाणी जैसे कद वाले किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जा सकता था।
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