नयी शिक्षा नीति के मसौदे का अध्ययन करें, जल्दबाजी में किसी नतीजे में ना पहुंचे: उपराष्ट्रपति

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शिक्षा प्रणाली के नवीनीकरण का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि छात्रों को ना केवल रोजगार पाने योग्य होना चाहिए बल्कि उनके पास जीवन कौशल, भाषा कौशल, तकनीकी कौशल और उद्यमी कौशल भी होने चाहिए।

विशाखापत्तनम। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को लोगों से नयी शिक्षा नीति के मसौदे का अध्ययन, विश्लेषण और बहस करने तथा जल्दबाजी में किसी नतीजे में ना पहुंचने की अपील की। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अहम मुद्दे काफी महत्वपूर्ण है और सभी पक्षकारों को उन पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूल बस्ते का बोझ कम करना, खेल को बढ़ावा देना, नैतिक शिक्षा को शामिल करना आदि पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए।

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उनकी टिप्पणी मानव संसाधन विकास मंत्रालय की गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी पढ़ाने की सिफारिश पर हुए विवाद की पृष्ठभूमि में आयी है। तमिलनाडु में द्रमुक और अन्य दलों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि यह हिंदी ‘‘थोंपने’’ की तरह है और वे इसे हटाना चाहते हैं। भारतीय पेट्रोलियम एवं ऊर्जा संस्थान (आईआईपीई) द्वारा आयोजित दो दिवसीय एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए नायडू ने नवोन्मेष और युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के लिए एक परितंत्र बनाने के वास्ते शिक्षा और उद्योग के बीच सहजीवी संबंध स्थापित करने का आह्वान किया।

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शिक्षा प्रणाली के नवीनीकरण का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि छात्रों को ना केवल रोजगार पाने योग्य होना चाहिए बल्कि उनके पास जीवन कौशल, भाषा कौशल, तकनीकी कौशल और उद्यमी कौशल भी होने चाहिए। महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और लैंगिक भेदभाव की घटनाओं पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली को सामाजिक रूप से जिम्मेदार नागरिक बनाने चाहिए और लोगों की विचारधारा में बदलाव लाने चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रम लोगों के आंदोलन बनने चाहिए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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