यौन शक्ति बढ़ाने के चक्कर में अचानक काटकर खाने लगे लोग, संकट में आ गया गधा

Donkey
अभिनय आकाश । Mar 4 2021 2:00PM

आंध्र प्रदेश के लोगों को लगता है कि गधे का मांस खाने से कई तरह की समस्या दूर हो सकती है। इसके साथ ही उन्हें विश्वास है कि गधे का मांस खाने से यौन क्षमता भी बढ़ती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गधों का मांस करीब 600 रुपये किलों बिक रहा है।

"पहली बार कोई आपको गधा कहे तो बिल्कुल बुरा मत मानिएगा। बल्कि उसे थैक्यू बोलियेगा। गधा कोई गाली नहीं तारीफ की थाली है।" ये विज्ञापन तो आपको बखूबी याद होगा। गधे उसी अर्थ में गधे रहते हैं जिस अर्थ में होते आए हैं, लेकिन अखिलेश यादव ने उसे नया अर्थ दिया। गधा होने का मानी कभी इस तरह से नहीं गूंजा। फिर तो पूरे उत्तर प्रदेश के चुनाव में सिर्फ गधा ही गधा चलता रहा। खेल खलिहानों और धोबी के घाटों से उठकर सियासी मंच पर बठ गया था गधा। उनका ये कहना भर था कि मैं सदी के महानायक से हाथ जोड़कर विनती करूंगा कि आप गुजरात के गधों का प्रचार मत करिए। गधे को लेकर आपके दिल में जो भी हो लेकिन उत्तर प्रदेश के सीएम रहते हुए अखिलेश यादव ने सियासत में गधों को जगह दी। लेकिन देश में गधों को विलुप्त होने वाले जानवरों की लिस्ट में रखा गया है और अगर जल्द ही गधों की जनसंख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई तो कई राज्यों से यह जानवर पूरी तरह से गायब हो सकता है। वहीं भारत के एक राज्य आंध्र प्रदेश जहां गधों को मारकर उनके अवशेषों को नहरों में फेंका जा रहा है। इसकी वजह से यहां जानवर विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं। 

इसे भी पढ़ें: सीता माता और मदर मैरी के नाम पर आंध्र प्रदेश में जंग, बीजेपी करेगी आंदोलन

यौन क्षमता बढ़ाने के लिए खाया जा रहा मांस

आंध्र प्रदेश के लोगों को लगता है कि गधे का मांस खाने से कई तरह की समस्या दूर हो सकती है। इसके साथ ही उन्हें विश्वास है कि गधे का मांस खाने से यौन क्षमता भी बढ़ती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गधों का मांस करीब 600 रुपये किलों बिक रहा है। जबकि मीट बेटने वाला एक गधा खरीदने के लिए 15 से 20 हजार रुपये तक दे रहा है।  

पांच वर्षों के अंदर 54 प्रतिशत की गिरावट 

आंध्र प्रदेश के पशपालन विभाग में सहायक निदेशक के पद पर तैनात डॉ, धनलक्ष्मी ने समाचार एजेंसी एएनआई को कहा कि राज्य में गधों की अवैध रूप से हत्या की जा रही है। साल 2012 में गधों की संख्या 10161 थी जो साल 2019 में घटकर 4678 हो गई। उन्होंने कहा कि सरकार पांच साल के अंतराल पर पशुधन की गणना करती है। 2019 के सर्वेक्षण में केवल पांच वर्षों के अंदर 54 प्रतिशत की गिरावट की बात सामने आई।  

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़