सेना मुख्यालय पर हमला पाकिस्तान का है हताशाजनक प्रयास: सेना प्रमुख

Sunjuwan terror attack ''frustrated'' attempt by Pakistan, says Army Chief
[email protected] । Feb 15 2018 8:47AM

जम्मू-कश्मीर में सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने आज इस तर्क को मानने से इंकार कर दिया कि जम्मू में पिछले हफ्ते सेना के शिविर पर हमला सुरक्षा खामियों के कारण हुआ

उधमपुर। जम्मू-कश्मीर में सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने आज इस तर्क को मानने से इंकार कर दिया कि जम्मू में पिछले हफ्ते सेना के शिविर पर हमला सुरक्षा खामियों के कारण हुआ और कहा कि नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान जब सेना का मुकाबला नहीं कर सका तो उसने ‘हताशा’ में यह कदम उठाया। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल डी. अन्बु ने कहा कि पिछले वर्ष दुश्मन को तीन गुना से ज्यादा क्षति पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि उरी में 2016 में हुए हमले के बाद सेना की ‘सक्रिय’ रणनीति जारी रहेगी क्योंकि जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान पर हावी है।

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान और इसकी आईएसआई न केवल जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद में संलिप्त है बल्कि पड़ोसी देशों में भी आतंकवाद में संलिप्त है क्योंकि इसके सहयोग, प्रशिक्षण और रणनीति के बगैर आतंकवाद ज्यादा नहीं टिकेगा।’ राज्य में शनिवार को हुए सुंजवां आतंकवादी हमले के बारे में उन्होंने कहा, ‘यह हताश दुश्मन (पाकिस्तान) है जो सीमा पर हमारा सामना नहीं करने पर खुद को इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त करता है। यह नैसर्गिक है कि दुश्मन को काफी नुकसान हो रहा है और आसान विकल्प देख रहा है। सीमा पर हम खुद को मजबूत कर रहे हैं और हम अच्छी तरह तैयार हैं, इसने आसान निशाना चुना है।’

 

अधिकारी ने बताया कि सीमावर्ती इलाकों की तरह शांत इलाकों की सुरक्षा व्यवस्था नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, ‘सीमा पर मैं कोई खामी स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि यह सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। सेना ने नियंत्रण रेखा के पास सुरक्षा कड़ी करने पर 364 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘गुप्तचरी के अलावा हम निगरानी, संतरियों की ड्यूटी और ड्रिल आदि का भी ख्याल रखते हैं।’ लद्दाख से जम्मू तक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तरी कमान की निगरानी करने वाले सेना कमांडर ने कहा कि सेना सुनिश्चित करेगी कि घुसपैठ नहीं हो।

 

उन्होंने कहा, ‘घुसपैठ होता है। हम सुनिश्चित करते हैं कि कोई घुसपैठ नहीं हो, यह हमारा काम है और हम बेहतर प्रयास करते हैं।’ अधिकारी के मुताबिक घुसपैठ में काफी कमी आई है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि भारतीय सेना अपने सैनिकों का संप्रदायीकरण नहीं करती। ओवैसी ने कहा था कि सुंजवां हमले में कश्मीरी मुस्लिमों ने शहादत दी है। सुंजवां में शनिवार को जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैन्टरी शिविर की 36वीं ब्रिगेड पर हमले में सेना के छह जवान शहीद हुए थे जिनमें चार कश्मीरी सैनिक थे।

 

अधिकारी ने कहा, ‘हम सैनिकों का धर्म नहीं देखते। हर इकाई में सर्व सेवा धर्मस्थल है। बादामीबाग जाइए या उधमपुर या मेरे आवास पर। ऐसी बातें वे लोग करते हैं जो सेना के कामकाज के बारे में नहीं जानते। ऐसे लोग ही बयान देते हैं। उन्हें आकर देखने की जरूरत है कि किस तरह हम इन चीजों को अलग रखते हुए मिल-जुलकर रहते हैं।’ अन्बु ने सोशल मीडिया के दुरूपयोग को ‘टाइम बम’ करार दिया और इसे सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बताया। साथ ही कहा कि हिज्बुल मुजाहिद्दीन, लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद आतंकवादी समूहों का एकजुट होना बड़ी चिंता की बात है।

 

उन्होंने कहा कि राज्य में हिंसा बढ़ाने में सोशल मीडिया बड़ी भूमिका निभा रहा है। सेना के कमांडर ने कहा, ‘सोशल मीडिया की पहुंच इतनी अधिक है और इतनी है कि यह हर किसी के लिए टाइम बम है।’ उन्होंने कहा, ‘हिज्बुल मुजाहिद्दीन, लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद के पिछले वर्ष एकजुट होने के बाद वे मिलकर काम कर रहे हैं।’ सैन्य कमांडर ने कहा, ‘इसका ध्यान रखा जाएगा।’

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