उच्चतम न्यायालय ने नोएडा की सीईओ के खिलाफ जारी वारंट पर रोक लगाई
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसके तहत भूमि अधिग्रहण से जुड़े अवमानना के एक मामले में नोएडा की सीईओ एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसके तहत भूमि अधिग्रहण से जुड़े अवमानना के एक मामले में नोएडा की सीईओ एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली माहेश्वरी की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई।
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माहेश्वरी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा, “यह एक गंभीर मामला है, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक महिला पेश हुई, उसका वकील भी साथ में मौजूद था और उसने सुनवाई बाद में करने का अनुरोध किया। उच्च न्यायालय ने महिला को पेश होने और हिरासत में लेने का निर्देश दिया।” पीठ ने कहा, “मामले को कल के लिए सूचीबद्ध किया जाए। आदेश पर रोक लगाई जाए।” इससे पहले, शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा था कि उत्तर प्रदेश के अधिकारी नियमित तौर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने आ रहे हैं और वे “अदालत के फैसले का सम्मान नहीं करते।” भूमि अधिग्रण से जुड़े अवमानना के एक मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी किए जाने के विरोध में नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) माहेश्वरी ने शीर्ष अदालत का रुख किया था।
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माहेश्वरी समय पर अदालत के सामने पेश नहीं हुई थीं, इसलिए उच्च न्यायालय ने वारंट जारी करने का आदेश दिया था। उच्चतम न्यायालय की पीठ ने सोमवार को कहा, “माहेश्वरी को पेश होने दिया जाए। उन्हें समझने दिया जाए।” पीठ ने कहा था, “आप एक आईएएस अधिकारी हैं, आपको नियम-कायदे पता हैं। हर दिन हम देखते हैं कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन हो रहा है। यह आदत बन गई है। हर दिन कोई न कोई अधिकारी अनुमति लेने आ जाता है। यह क्या है? आप अदालत के आदेश का सम्मान नहीं करते।
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