निकाह हलाला, बहुविवाह के खिलाफ एक और याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court to hear on another petition against Halala, polygamy
[email protected] । Jul 5 2018 9:07AM

उच्चतम न्यायालय मुसलमानों में प्रचलित निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा को चुनौती देने वाली एक और याचिका पर सुनवाई करने के लिए आज सहमत हो गया।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय मुसलमानों में प्रचलित निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा को चुनौती देने वाली एक और याचिका पर सुनवाई करने के लिए आज सहमत हो गया। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह संविधान के तहत मिले मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा डीवाई चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली एक पीठ ने कोलकाता स्थित संगठन मुस्लिम वीमेन्स रजिस्टेंस कमेटी की अध्यक्ष नाजिया इलाही खान द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया। 

पीठ ने रिट याचिका को इस मुद्दे के लंबित विषयों से जोड़ दिया। संगठन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वीके बीजू ने निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा को अवैध और असंवैधानिक घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करता है। 

उन्होंने कहा कि मुस्लिम पसर्नल लॉ (शरियत) एप्लीकेशन एक्ट की धारा 2 निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता और वैधता देने की बात कहता है , जो न सिर्फ महिला की मूलभूत गरिमा के विरूद्ध है बल्कि संविधान के तहत प्रदत्त मूल अधिकारों का भी उल्लंघन करता है। 

याचिका में कहा गया है कि भारत का मुस्लिम पसर्नल लॉ निकाह हलाला और बहुविवाह की प्रथा की इजाजत देता है। इस तरह यह सीधे तौर पर महिलाओं की स्थिति पुरूषों की तुलना में निम्नतर करता है और महिलाओं से संपत्ति के समान बर्ताव करता है। गौरतलब है कि न्यायालय ने दो जुलाई को कहा था कि यह बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा की वैधता की छानबीन करने के लिए पांच सदस्यीय एक संविधान पीठ गठित करने पर विचार करेगा। शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल 22 अगस्त को तीन तलाक की प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था। 

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