अन्ना के सहयोगी पर प्रशासन की कार्रवाई, आंदोलन को दबाने के लिए चली ये चाल
अन्ना आंदोलन को खत्म हुए करीब 3 महीने हुए हैं लेकिन आंदोलन का दौर अभी भी जारी है। बस मुद्दे अलग हो गए हैं। बता दें कि अन्ना हजारे की राष्ट्रीय कोर समिति के सदस्य सुशील भट्ट जो कि उत्तराखंड के सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, उन्होंने सवर्णों को आरक्षण दिलाने की ठानी है।
नयी दिल्ली। अन्ना आंदोलन को खत्म हुए करीब 3 महीने हुए हैं लेकिन आंदोलन का दौर अभी भी जारी है। बस मुद्दे अलग हो गए हैं। बता दें कि अन्ना हजारे की राष्ट्रीय कोर समिति के सदस्य सुशील भट्ट जो कि उत्तराखंड के सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, उन्होंने सवर्णों को आरक्षण दिलाने की ठानी है। हालांकि, वह चाहते हैं कि आरक्षण खत्म होना चाहिए।
इस कड़ी में शनिवार को उन्होंने ब्राह्मण क्षत्रिय आरक्षण आंदोलन समिति के गठन के लिए हलद्वानी में एक सभा बुलाई। जिसमें 40 से 50 लोग शामिल हुए और आंदोलन की आगे की रूपरेखा तय की गई। हालांकि, इनके इस आंदोलन को कुचलने का उत्तराखंड सरकार ने पूरा प्रयास किया...बीती रात को भट्ट के खिलाफ प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए उनके ढाबे को ढहा दिया...जबकि दूसरे सभी ढाबे अपनी जगह पर खड़े रहे।
दरअसल, प्रशासन ने यह कदम भट्ट को आंदोलन से भटकाने के लिए किया था। जिसके बाद भट्ट ने कहा कि समाज के लिए उन्होंने पहले ही कीमत चुका दी है और आगे जरूरत पड़ी तो चुकाते रहेंगे। लेकिन सामाजिक कार्य करने से कतराएंगे नहीं। भट्ट ने आगे प्रभासाक्षी के साथ खास बातचीत करते हुए बताया कि वह ऐसी छोटी-छोटी बैठके आयोजित करते रहेंगे ताकि संगठन को बढ़ाया जा सके और आरक्षण आंदोलन को मजबूती प्रदान की जा सके।
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