बच्चों के खिलाफ अपराधों की नैतिक जिम्मेदारी लें सरकारें: सत्यार्थी
बिहार के मुजफ्फरपुर के एक बालिकागृह की बच्चियों के साथ कथित यौन शोषण की घटना की पृष्ठभूमि में जानेमाने बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि सरकारों को बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
नयी दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर के एक बालिकागृह की बच्चियों के साथ कथित यौन शोषण की घटना की पृष्ठभूमि में जानेमाने बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि सरकारों को बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सत्यार्थी ने सभी धर्मगुरुओं का आह्वान भी किया कि वे बच्चों के लिए एकजुट होकर आवाज बुलंद करें।मुजफ्फरपुर की घटना के संदर्भ में सत्यार्थी ने कहा, ‘‘राज्य सरकारों को ऐसे अपराधों की नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। सिर्फ यह कहने से काम नहीं चलेगा कि जांच का आदेश दिया गया है। समाज को भी नैतिक जिम्मेदारी लेना सीखना चाहिए।’’
गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर का मामला संसद में उठने और सामाजिक संगठनों के विरोध प्रदर्शनों के बाद बिहार सरकार ने इस घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की है।सत्यार्थी ने कहा, ‘‘इस तरह के मामलों पर धर्मगुरू बोलते नहीं हैं, जबकि कई मामलों में इन्हीं के लोग पकड़े जा रहे हैं। मठों, मदरसों, मिशनरी संस्थाओं और दूसरे स्थानों पर लोग पकड़े जा रहे हैं। ऐसे में धर्मगुरुओं को एकसाथ आवाज उठानी चाहिए कि यह अधर्म है।’’ बच्चा चोरी की अफवाह के चलते भीड़ द्वारा पीट पीट कर मार डालने की हालिया घटनाओं की निंदा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की घटनाओं का मतलब यह है कि लोग कानून-व्यवस्था पर विश्वास नहीं कर रहे हैं...लोगों को कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए। लोग कानून को हाथ में नहीं लें, इसके लिए समाज में रचनात्मक सोच पैदा करनी पड़ेगी।’’
सत्यार्थी ने हाल ही में लोकसभा में पारित ‘व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) विधेयक- 2018’ की तारीफ करते हुए कहा कि इस प्रस्तावित कानून से दुनिया भर में भारत की छवि निखरेगी और देश में मनुष्य, खासकर बच्चों की तस्करी के धंधे की कमर टूट जाएगी। गौरतलब है कि इसी साल 28 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) विधेयक, 2018 को संसद में पेश करने की स्वीकृति प्रदान की थी। इस विधेयक को गत 26 जुलाई को लोकसभा में पारित किया गया।
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