हिंसा त्यागने वाले उग्रवादी समूहों से वार्ता संभवः रिजिजू
पूर्वोत्तर में सक्रिय विभिन्न उग्रवादी समूहों को संदेश देते हुए सरकार ने आज कहा कि अगर वे राष्ट्रविरोधी गतिविधियां छोड़ते हैं तथा बातचीत के लिए गंभीर हैं तो सरकार उनसे बात करने को तैयार है।
पूर्वोत्तर में सक्रिय विभिन्न उग्रवादी समूहों को संदेश देते हुए सरकार ने आज कहा कि अगर वे राष्ट्रविरोधी गतिविधियां छोड़ते हैं तथा बातचीत के लिए गंभीर हैं तो सरकार उनसे बात करने को तैयार है। गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सरकार ‘‘कोआपरेटिव मूड’’ में है और अगर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल उग्रवादी समूह हिंसा का त्याग करते हैं तो सरकार को उनसे बातचीत करने में कोई समस्या नहीं है।
उन्होंने कई समूहों से बातचीत जारी रहने का जिक्र किया और कहा कि संसद के मौजूदा सत्र के बाद फिर से स्थिति की समीक्षा की जाएगी विशेषकर बोडोलैंड के दो समूहों के संदर्भ में और सरकार की ओर से इसमें कोई विलंब नहीं होगा। उन्होंने ऐसे समूहों से बातचीत करने से इंकार किया जो हिंसा और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। रिजिजू ने कहा कि भारत सरकार और असम सरकार ने असम के कुछ विद्रोही समूहों के साथ ‘‘कार्रवाई स्थगन समझौते’’ किए हैं। इन समूहों में उल्फा (वार्ता समर्थक), एनडीएफबी (प्रोग्रेसिव), एनडीएफबी (आरडी) आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा असम सरकार ने कुछ समूहों के साथ ‘‘कार्रवाई स्थगन समझौते’’ किए हैं। उन्होंने बताया कि ‘‘कार्रवाई स्थगन’’ अवधि के दौरान विद्रोहियों के लिए कोई पुनर्वास योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि समर्पण करने वाले विद्रोहियों के पुनर्वास के लिए केंद्र राज्यों की मदद करता है। असम और मेघालय के उग्रवादियों के एक दूसरे राज्यों में प्रवेश करने की समस्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों की सीमा पर सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि दोनों प्रदेशों की सरकारें सहयोग कर रही हैं और कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है।
रिजिजू ने नक्सली समस्या से जुड़े एक अन्य प्रश्न के जवाब में कहा कि सुरक्षाकर्मियों की तैनाती और जमीनी स्तर पर विकास होने से स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि नक्सली समस्या पर काबू पाने में ग्रामीण स्तर पर हुए विकास का खासा योगदान रहा है। जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्या वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में कमी लायी जा रही है, उन्होंने कहा कि अभी तक इस संबंध में कोई फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास के लिए पिछली सरकार के कार्यकाल में योजनाएं शुरू की गयी थीं और इस सरकार ने उन विकास कार्यों को आगे बढ़ाया है। मंत्री ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और विकास संबंधी गतिविधियों का संचालन भी प्राथमिक तौर पर राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। केंद्र सरकार वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में, उनके सतत विकास के लिए अपने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के माध्यम से उनके प्रयायों में सहायता प्रदान करती रही है।
अन्य न्यूज़