राजसमंद में आज होगा भगवान शिव की सबसे ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण

Shivji
ANI Image
रितिका कमठान । Oct 29 2022 2:55PM

दुनिया की सबसे ऊंची 369 फीट की भगवान शिव की प्रतिमा 'विश्वास स्वरूपम्' का लोकार्पण आज किया जाएगा। राजसमंद के नाथद्वारा में इस शिव प्रतिमा का लोकार्पण होगा। इस प्रतिमा की खासियत है कि ये 20 किलोमीटर दूर से भी दिख सकती है।

दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बनकर तैयार हो गई है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 369 फीट है, जिसे विश्वास स्वरूपम नाम दिया गया है। राजस्थान में राजसमंद जिले के नाथद्वारा में इस प्रतिमा का लोकार्पण 29 अक्तूबर को किया जाना है।

10 वर्षों में बनी है प्रतिमा

दावा है कि भगवान शिव की अल्हड़ व ध्यान मुद्रा वाली यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा है। इस प्रतिमा को बनने में 10 वर्षों का समय लगा है। प्रतिमा का निर्माण तत पदम संस्थान द्वारा किया गया है। बता दें कि गणेश टेकरी पर 51 बीघा की पहाड़ी पर बनी इस प्रतिमा में भगवान शिव ध्यान एवं अल्लड़ की मुद्रा में हैं। 

ऐसे होगा लोकार्पण समारोह

लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कथावाचक मुरारी बापू, योग गुरु बाबा रामदेव, विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी.पी. जोशी भी मौजूद रहेंगे। प्रतिमा के उद्घाटन के बाद 29 अक्टूबर से छह नवंबर तक नौ दिनों तक धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इस दौरान मुरारी बापू राम कथा का पाठ भी करेंगे। बता दें कि उद्घाटन समारोह के लिए रामकथा का भी आयोजन होगा। इसके लिए व्यासपीठ बनाई गई है जो मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी है। व्यासपीठ में हनुमान प्रतिमा, मंगला दर्शन की श्रीनाथ जी की छवि और ब्रह्माण्ड की छवि दिखेगी।

विशेष लाइट्स की है व्यवस्था

नाथद्वारा की गणेश टेकरी पर बनी इस प्रतिमा को रात में  भी देखा जा सके इसलिए खास लाइटिंग की भी व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं और पर्यटकों को स्पष्ट रूप से ये प्रतिमा दिखाई दे सके इसके लिए शानदार लाइटिंग की व्यवस्था की गई है। खास बात है कि उद्घाटन समारोह के मौके पर देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु नाथद्वारा पहुंचे है। उद्घाटन समारोह के लिए नाथद्वारा में उत्सव का माहौल बना हुआ है।

उपयोग हुआ 3000 टन स्टील

इस मूर्ति के निर्माण में 3000 टन स्टील का उपयोग हुआ है। इसके अलावालोहा, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल हुआ है। इस परियोजना की नींव अगस्त 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मुरारी बापू की उपस्थिति में रखी गई थी। यह स्थान उदयपुर शहर से लगभग 45 किलोमीटर दूर है।

250 किलोमीटर की रफ्तार की हवा झेलेगी

खास बात है कि इस मूर्ति को इतना मजबूत बनाया गया है कि ये 250 किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को भी सहन कर सकती है। जानकारी के मुताबिक शुरुआत में ये मूर्ति 251 फीट की बननी थी मगर निर्माण के दौरान इसकी ऊंचाई 100 फीट बढ़ गई। इसमें गंगा की जलधारा को जोड़ा गया जिसके बाद इसकी ऊंचाई 369 फीट हुई।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़