तमिलनाडु सरकार ने पट्टिना प्रवेशम से हटाया प्रतिबंध, संतों से मुलाकात के बाद CM ने लिया फैसला
परंपरा पर हाल ही में लगाए गए प्रतिबंध को रद्द करने पर राज्य भर के पुजारियों का एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात की थी। इसी मुलाकात के बाद यह फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री की ओर से इस आयोजन को लेकर अपनी सहमति दे दी गई है।
तमिलनाडु सरकार ने धरमापुरम अधीनम के 'पट्टिना प्रवेशम' पर अपने हालिया प्रतिबंध को रद्द कर दिया। 'पट्टिना प्रवेशम' भक्तों द्वारा पालकी में पोंटिफ को अपने कंधों पर ले जाने की एक रस्म है। नए आदेश के मुताबिक अनुष्ठान 22 मई को होगा। श्री ला श्री मासिलामणि देसिगा गणसम्बंदा परमाचार्य स्वामीगल ने दावा किया कि परंपरा पर हाल ही में लगाए गए प्रतिबंध को रद्द करने पर राज्य भर के संतों का एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात की थी। इसी मुलाकात के बाद यह फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री की ओर से इस आयोजन को लेकर अपनी सहमति दे दी गई है।
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इससे पहले मदुरै अधीनम श्री ला श्री हरिहर श्री ज्ञानसंबंदा देसिका स्वामीगल के 293वें महंत ने कहा था कि धरमापुरम अधीनम का शैव सम्प्रदाय के लोगों के लिए वही महत्व है जो कैथोलिक ईसाइयों के लिए वेटिकन सिटी का है। साथ ही उन्होंने आग्रह किया था कि इस प्राचीन शैव मठ की परंपरा का सम्मान करना चाहिए, ना कि विरोध। धरमापुरम अधीनम के महंत को अनुयायियों द्वारा पालकी में लेकर निकाले जाने वाली वार्षिक पट्टिना प्रवेशम शोभायात्रा पर राजस्व अधिकारियों के रोक लगाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन को हस्तक्षेप करना चाहिए और कार्यक्रम का आयोजन होने देना सुनिश्चित करना चाहिए।
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संतों की ओर से लगातार कहा जा रहा था कि कार्यक्रम सदियों से होता आ रहा है और इसे ब्रिटिश राज के दौरान तथा देश की आजादी के बाद सभी मुख्यमंत्रियों ने भी अनुमति दी थी। इनका कहना था कि यह दावा करते हुए कि उक्त परंपरा मानव की गरिमा को प्रभावित करती है, कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाना निंदनीय है। धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप करना निंदनीय है। उल्लेखनीय है कि मयीलादुथुरई जिले के राजस्व अधिकारियों ने संविधान के अनुच्छेद 23 का हवाला देते हुए निषेधाज्ञा जारी कर दी है और कहा कि कार्यक्रम नहीं किया जा सकता क्योंकि लोगों से पालकी ढोने को कहा जाता है।
Tamil Nadu govt revokes its recent ban on 'Pattina Pravesam' of the Dharumapuram Adheenam.
— ANI (@ANI) May 8, 2022
‘Pattina Pravesam’ is a ritual of devotees carrying the pontiff on their shoulders in a palanquin. The ritual will take place on May 22nd, the new order reads.
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