टंडन की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से मांगा जवाब
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नोटबंदी के बाद धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद विवादास्पद वकील रोहित टंडन की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से आज जवाब मांगा।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नोटबंदी के बाद धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद विवादास्पद वकील रोहित टंडन की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से आज जवाब मांगा। न्यायमूर्ति एके पाठक ने निचली अदालत के सात जनवरी के आदेश के खिलाफ टंडन की याचिका पर निदेशालय को दो मार्च तक स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया। निचली अदालत ने अपने फैसले में इस आधार पर टंडन को जमानत देने से इनकार कर दिया था कि वह अन्य सह आरोपी के साथ सुनियोजित तरीके से एक ‘‘सफेदपोश अपराध’’ में कथित तौर पर शामिल है।
टंडन ने अदालत से जमानत पर रिहा करने का आग्रह करते हुये कि इस मामले की जांच पूरी हो गयी है और उससे कई बार पूछताछ की गयी है। वह गत वर्ष 29 दिसंबर से हिरासत में है। टंडन की तरफ से वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने दलील दी कि इस मामले में सारे सबूत दस्तावेजी थे। उन्होंने कहा, ‘‘वे टंडन को हिरासत में क्यों रखना चाहते हैं।’’ निदेशालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने जमानत याचिका का विरोध करते हुये कहा कि वह इस पर जवाब दाखिल करेंगे।
नोटबंदी के बाद अवैध रूप से 60 करोड़ रुपये के नोट बदलवाने में कथित तौर पर शामिल टंडन को निचली अदालत ने यह कहते हुये राहत देने से इनकार कर दिया था कि अगर उसे जमानत मिली तो वह अभियोजक पक्ष के गवाहों को प्रभावित कर सकता है। टंडन के अलावा कोलकाता स्थित उद्योगपति पारस एम लोढा और कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंधक आशीष कुमार को धन शोधन निवारण कानून के तहत अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया था। ये भी न्यायिक हिरासत में हैं।
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