राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, शिक्षकों की नजर होनी चाहिए पारखी

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[email protected] । Nov 3 2018 7:34PM

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि छात्रों की विशेष क्षमताओं को परखते हुये और उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित कर शिक्षक उच्च शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

हरिद्वार। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि छात्रों की विशेष क्षमताओं को परखते हुये और उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित कर शिक्षक उच्च शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यहां पतंजलि योगपीठ में दो दिवसीय ‘ज्ञानकुंभ’ नामक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि एक छात्र की प्रगति में एक शिक्षक की पारखी नजर एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।

उन्होंने कहा, ‘ऐसे में आपको अपने छात्रों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी गरीबी या किसी अन्य कठिनाई के कारण उनकी योग्यता अनदेखी नहीं रह जाए।’ राष्ट्रपति ने इस बात का उल्लेख किया कि इतिहास उदाहरणों से भरा पड़ा है जब शिक्षकों ने अपने शिष्यों के कौशल को निखारा ताकि वे प्रतिष्ठित पदों पर पहुंच सकें। उन्होंने चाणक्य का उदाहरण दिया जिन्होंने साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले च्रंद्रगुप्त की प्रतिभा को पहचाना और प्राचीन भारत के सबसे प्रतिष्ठित राजाओं में से एक बनाया।

उन्होंने कहा, ‘सभी बच्चों का जन्म कुछ विशेष क्षमता के साथ होता है। यह शिक्षक का दायित्व है कि वह उस क्षमता को पहचाने और उनसे उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाए।’ पिछड़े वर्ग में जन्मे भीम राव को एक ब्राह्मण शिक्षक के परखने और अध्ययन पूरा करने के बाद उन्हें अपना उपनाम अंबेडकर देने का उदाहरण देते हुये कोविंद ने कहा कि अगर डॉक्टर अंबेडकर के जीवन में शिक्षक का आगमन नहीं होता तो देश एक भारत रत्न की सेवा से वंचित रह जाता। 

राष्ट्रपति ने कहा, ‘यहां तक कि राष्ट्रपति ए पी जी अब्दुल कलाम ने भी एक रॉकेट वैज्ञानिक बनने का सपना देखना तब शुरू किया जब वह अपने सहपाठियों के एक समूह के साथ समुद्र किनारे एक शिक्षक से मिले जिन्होंने उन्हें पक्षियों के उड़ान भरने के बारे में पाठ पढ़ाया।’ उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि इस कार्यक्रम में हुआ विचार-विमर्श देश में उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव के विचारों को आगे ले जाएगा।

कोविंद ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) जैसे एक उच्च शिक्षा केन्द्र की स्थापना में मदन मोहन मालवीय के समर्पित प्रयासों को भी याद किया और शिक्षकों से उनके योगदान से प्रेरणा लेने की सलाह दी। उद्घाटन समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और पतंजली योगपीठ के प्रमुख रामदेव मौजूद थे। समारोह में देश भर के अनेक शिक्षाविद हिस्सा ले रहे हैं। इस समारोह का समापन रविवार को होगा।

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