‘टेफलोन कोटेट’ उदारवादियों से देश को चुनौती: राम माधव
भाजपा के महासचिव राम माधव ने आरोप लगाया कि देश में ‘टेफलोन कोटेट’ उदारवादी हैं जो देश के समक्ष एक चुनौती पेश कर रहे हैं।
बेंगलुरु। भाजपा के महासचिव राम माधव ने रविवार को कहा कि न्यायपालिका एक उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में ‘टेफलोन कोटेट’ उदारवादी हैं जो देश के समक्ष एक चुनौती पेश कर रहे हैं। थिंकर्स फोरम द्वारा आयोजित प्रथम अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान में राम माधव ने राम जन्मभूमि मुद्दे का उदाहरण देते हुये कहा कि न्यायपालिका ने न्याय देने में देरी की है। माधव ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को राम जन्मभूमि से संबंधित केवल उस मामले पर फैसला करना था जिस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था।
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हालांकि, माधव ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने फारसी, उर्दू और हिन्दी भाषाओं के दस्तावेजों के 14000 पन्नों का अंग्रेजी में अनुवाद करने को कहा। जब उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका अनुवाद करा लिया तो अदालत ने सोचा कि दूसरे पक्ष के एक और सवाल पर ध्यान देने की जरूरत है कि- मस्जिद इस्लाम एक अभिन्न हिस्सा है या नहीं। भाजपा महासचिव ने कहा, ‘यह मामला केवल तीन हिस्सों में बांटने का है। यह तय करना है कि इसका बंटवारा किया जाना है या नहीं। लेकिन उच्चतम न्यायालय पहले यह निर्णय लेना चाहता है कि क्या मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं। सौभाग्य से न्यायाधीशों को अगस्त 2018 में पता चला कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है।’
Ram Madhav,BJP on #Rafale:Why JPC?Let’s discuss in front of 542 parliamentarians.Why they want to discuss within a group of 30 JPC members?We're ready for full-house debate. They're only interested in incapacitating our armed forces, defeating security preparedness of our country pic.twitter.com/A5j4pexvBp
— ANI (@ANI) December 16, 2018
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उन्होंने कहा कि हालांकि जब अदालत ने 29 अक्टूबर से मामले पर सुनवाई करने का फैसला किया तो प्रधान न्यायाधीश ने तीन मिनट में कह दिया कि यह उच्चतम न्यायालय की प्राथमिकता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘जब उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह प्राथमिकता में नहीं है तो लोगों को लगा कि उन्हें साबित करना है कि यह प्राथमिकता में है। तो आपने देखा कि देश में मंदिर समर्थकों ने जन जागरण किया क्योंकि इतने महत्वपूर्ण विषय को प्राथमिकता में नहीं बताकर खारिज कर दिया गया।’ ‘बुद्धिजीवियों और एनजीओ’ के बारे में माधव ने कहा कि यहां तक कि ये ‘टेफलोन कोटेट’ उदारवादी दक्षिण भारत को एक अलग देश बनाना चाहते हैं।
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