दिल्ली से पैदल चलकर मध्यप्रदेश पहुँचे टीकमगढ़ के मजदूरों का जत्था, सरकारी सहायता का इंतजार
मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले से दिल्ली मजदूरी करने गए लगभग 25 मजदूरों का है। जिन्हें लॉक डाउन के चलते भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह मजदूर 23 मार्च को परिवहन साधन न मिलने की वजह से पैदल ही अपने गाँवों की ओर निकल पड़े है। जिसमें पुरूषों के साथ कई महिलाएँ और बच्चे भी शामिल है।
भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते केन्द्र सरकार द्वारा किए गए लॉक डाउन के चलते सबसे जायदा मजदूर वर्ग परेशान हो रहा है। यही कारण है कि कई मजदूर जो पलायन कर दूसरे शहरों में मजदूरी कर पेट पाल रहे है, वह अब कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए कर्फ्यू के दौरान बेरोजगार हो गए है। जिन्हें रोजी रोटी की समस्या का सामना तो करना ही पड़ रहा है साथ ही अपने गाँव शहर लौटने के साधन भी नहीं मिल रहे है।
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ताजा मामला मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले से दिल्ली मजदूरी करने गए लगभग 25 मजदूरों का है। जिन्हें लॉक डाउन के चलते भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह मजदूर 23 मार्च को परिवहन साधन न मिलने की वजह से पैदल ही अपने गाँवों की ओर निकल पड़े है। जिसमें पुरूषों के साथ कई महिलाएँ और बच्चे भी शामिल है। पीआईबी के संयुक्त निदेशक अखिल नामदेव ने बताया कि उन्हें टीकमगढ़ जिले से एक मजदूर के बेटे का फोन आया था जिसने बताया कि उनके माता पिता दिल्ली से निकले जत्थे के साथ है। यह लोग प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के खरगापुर और बलदेवर के रहने वाले है। वही टीकमगढ़ के रहने वाले मिलन अहिरवार के अनुसार इन मजदूरों की सहायता के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उन्होंने ट्वीट भी किया था।
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हालंकि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने गुरूवार शाम एक आदेश जारी कर यह कहा है कि प्रदेश के बाहर गए लोगों के खाने-पीने एवं रूकने की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। जनसंपर्क विभाग से जारी खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश के निवासी़, जो दूसरे राज्यों में गये थे तथा अभी वहाँ हैं, उनके रूकने एवं खान-पान की व्यवस्था जहाँ हैं, वहीं की जायेगी। इसके लिये राज्य सरकार उन प्रदेशों के मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से चर्चा कर रही है। यदि वे लोग मध्यप्रदेश की सीमा पर आते हैं, तो उन्हें सावधानीपूर्वक यथाशीघ्र प्रदेश में सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जाएगा।
लेकिन पिछले तीन दिनों से दिल्ली से मध्यप्रदेश के लिए निकले मजदूरों के इस जत्थे को अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है। मेहनत मजदूरी कर अपना पेट पालने वाले यह मजदूर सुरक्षा और कोरोना संक्रमण से भयभीत होकर अपने गाँवों की तरफ निकल चुके है। जिनके मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश करने की खबर मिली है।
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