BSF प्रमुख ने भी माना, रोहिंग्याओं के प्रति ‘थोड़ा मित्रवत’ है ममता सरकार

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[email protected] । Sep 7 2018 5:38PM

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक के के शर्मा ने शु्क्रवार को कहा कि पश्चिम बंगाल रोहिंग्याओं के प्रति ‘थोड़ा मित्रवत’ है और उसने करीब 70 ऐसे परिवारों के वास्ते विशेष शिविर भी लगाए हैं।

नयी दिल्ली। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक के के शर्मा ने शु्क्रवार को कहा कि पश्चिम बंगाल रोहिंग्याओं के प्रति ‘थोड़ा मित्रवत’ है और उसने करीब 70 ऐसे परिवारों के वास्ते विशेष शिविर भी लगाए हैं। इनकी संख्या सुनिश्चित करने के लिये उन्होंने एक जांच भी करवाई है। भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा की चौकसी का जिम्मा संभालने वाले बल के प्रमुख ने कहा कि बीएसएफ इस मुद्दे के प्रति सजग है और म्यामां के इन प्रवासियों का बड़े पैमाने पर कोई प्रवेश नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम स्थिति को लेकर सजग हैं। हमें पता है कि बांग्लादेश में बड़ी संख्या में रोहिंग्या इकट्ठे हो गये हैं और समय समय पर उनमें से कुछ लोग भारत में प्रवेश करने का प्रयास भी करते हैं लेकिन मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने उन्हें सफल नहीं होने दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, भारत में रोहिंग्याओं का बड़े पैमाने पर कोई प्रवेश तो नहीं हुआ। जो भी रोहिंग्या हैं, वे पहले से हैं.... वाकई कुछ स्थानों पर वे दबाव में भी हैं इसलिए वे पश्चिम बंगाल जा रहे हैं, एक ऐसा राज्य जो उनके प्रति थोड़ा मित्रवत है।’’

अपने बांग्लादेशी समकक्ष के साथ यहां संवाददाता सम्मेलन में शर्मा ने कहा, ‘‘उसने (पश्चिम बंगाल ने) देश के अंदर से, न कि बांग्लादेश से पहुंच रहे रोहिंग्याओं के लिए शिविर भी लगाए हैं।’’ उन्होंने कहा कि हमने जांच करवायी है और करीब 70 ऐसे परिवार हैं जो भारत के विभिन्न स्थानों से पहुंच हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे यह कहते हुए बड़ी खुशी है कि बीएसएफ ने रोहिंग्याओं की घुसपैठ पर सफलतापूर्वक लगाम लगायी है और हमने अबतक कोई घुसपैठ नहीं होने दी। इसकी हमारी अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने भी पुष्टि की है।’’

बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के महानिदेशक मेजर जनरल मोहम्मद शफीनुल इस्लाम से भी यही सवाल किया गया और उन्होंने जवाब दिया कि उनके देश में रोहिंग्याओं की अनधिकृत आवाजाही रोकने के लिए बड़ी चौकसी है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश म्यामां सीमा के समीप बड़ी संख्या में रोहिंग्या हैं जिन्हें उन्हें दी गई जगह में सीमित रखा जा रहा है।

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