राज्यपाल और सरकार के बीच गतिरोध समाप्त, कमलनाथ सरकार की बड़ी जीत

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राज्यपाल लालजी टंडन ने नगरीय निकाय अध्यादेश को मंजूरी देते हुए राजभवन की तरफ से एक विज्ञप्ति भी जारी की जिसमें उन्होनें आप्रत्याक्ष रूप से राज्यसभा सांसद विवेक तंखा के ट्विट पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि, राज्यपाल का दृढ़ अभिमत है कि संवैधानिक पदों के विवेकाधिकारी पर टीका टिप्पणी करना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है।

मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए नगर पालिका विधि संधोधित अध्यादेश 2019 को राज्यपाल लालजी टंडन ने हरी झंडी दे दी है। राज्य की कमलनाथ सरकार आगमी नगरीय निकाय चुनाव बिना पार्टी चुनाव चिंह और नगर निगम महापौर और नगर पालिका तथा परिषद अध्यक्ष के चुनाव आप्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने जा रही है। जिसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है। राज्य की कमलनाथ सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव का नया मसौदा तैयार कर कैबिनेट से पास कर दिया था। जिसके बाद राज्यपाल की मंजूरी के लिए उसे भेजा गया था। लेकिन पिछले छह दिनों से राजभवन इसे रोके हुए था। इस दौरान राज्यपाल से मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ऑल इंडिया मेयर काउंसिल ने मुलाकात की थी। जहां मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस अध्यादेश को पास करने और इसमें नए नियम बनाए जाने की जानकारी राज्यपाल को दी, तो वही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस अध्यादेश को पास न करने को लेकर राज्यपाल से मिले। मुख्य विपक्षी दल भाजपा नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश को लेकर लगातार राज्य की कमलनाथ सरकार का विरोध कर रही है। इस दौरान राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने राज्यपाल लालजी टंडन को ट्विट कर राजधर्म का पालन करने की सलाह तक दे डाली। 

वही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्विट कर नगरीय निकाय एक्ट में संशोधन करने पर कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए इसे कांग्रेस पार्टी की पराजय का डर बताया था। जहाँ राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने ट्विट में लिखा था कि- सम्माननीय राज्यपाल आप एक कुशल प्रशासक थे और है। संविधान में राज्यपाल कैबिनेट की अनुशंसा के तहत कार्य करते है। इसे राज्य धर्म कहते है। विपक्ष के बात सुने मगर महापोर चुनाव बिल नहीं रोके। यह ग़लत परम्परा होगी। ज़रा सोचिए। तो दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल से मुलाकात से पहले और बाद में लगातार पाँच ट्विट किए। उन्होनें राज्यसभा सांसद विवेक तंखा के ट्वीट पर भी टिप्पणी करते हुए लिखा कि- मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल महोदय अनुभव की भट्ठी में पके हुए अनुभवी राजनेता हैं। राजधर्म का पालन कैसे होता है, कोई उन्हें यह सिखाने की कोशिश न करे।तो वही कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होनें लागातार दो ट्विट किए जिसमें शिवराज सिंह चौहान ने लिखा कि- कांग्रेस पार्टी की हार निश्चित है, पराजय के डर से ही उनके नेता प्रदेश में महापौर, नगर निगम और नगरपालिका अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली द्वारा करवाना चाहते हैं ताकि वह धनबल और बाहुबल से जीत सकें। यह पूर्णतः गलत है। मेरी मांग है कि प्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव हों।पराजय का इतना डर बैठ गया है कांग्रेस पार्टी को कि वह भोपाल नगर निगम के टुकड़े करने का कुत्सित प्रयास कर रही है। कांग्रेस हमेशा से ही वोटबैंक की राजनीति कर जनता को ठगने का काम करती आ रही है। 

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भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में बाँटने के कमलनाथ सरकार के प्रस्ताव का हम विरोध करते हैं!लेकिन राजभवन और सरकार के बीच छह दिनों तक चली कश्मकश के बाद कमलनाथ सरकार के नगरीय निकाय चुनाव को लेकर बनाए गए नए अध्यादेश को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी। तो वही विपक्ष इससे नाराज़ चल रहा है। भाजपा जनता से उनके अधिकारों को छीनने की बात कह रही है। भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सीधा चुनाव लोकतंत्र की आत्मा को जीवित रखता है तो ट्विट कर उन्होनें लिखा कि- मध्यप्रदेश में महापौर, नगर निगम और नगरपालिका अध्यक्ष के सभी चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होते आ रहे हैं। जनता के द्वारा इनका सीधा चुनाव किया जाता है जो लोकतंत्र की आत्मा को जीवित रखता है, इसे मरने नहीं देना चाहिए। जनता से उनके नगर के अध्यक्ष को चुनने का अधिकार छीनना गलत है।मंगलवार को राज्यपाल से मुलाकात के बाद शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री और राज्यपाल से अनुरोध भी किया और ट्विट में लिखा कि- मैं राज्यपाल महोदय और मुख्यमंत्री जी से भी यही अनुरोध करूंगा कि महापौर, ज़िला पंचायत और जनपद पंचायत का भी चुनाव डायरेक्ट करवाएं। जनता पहले की तरह इनका चुनाव सीधे करे।

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हालंकि राज्यपाल लालजी टंडन ने नगरीय निकाय अध्यादेश को मंजूरी देते हुए राजभवन की तरफ से एक विज्ञप्ति भी जारी की जिसमें उन्होनें आप्रत्याक्ष रूप से राज्यसभा सांसद विवेक तंखा के ट्विट पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि, राज्यपाल का दृढ़ अभिमत है कि संवैधानिक पदों के विवेकाधिकारी पर टीका टिप्पणी करना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। राज्यपाल पद की गरिमा निष्पक्ष और निर्विवादित है। इस पर किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष अधवा परोक्ष दबाव बनाना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है और स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपराओं के लिए हानिकारक है। उन्होनें जारी विज्ञप्ति में यह भी साफ किया कि राजभवन के दरवाजे सभी नागरिकों के लिए हमेशा खुले है।वही नगर पालिक विधि संशोधित अध्यादेश 2019 राजभवन से पास होने के बाद राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने राज्यपाल को धन्यवाद दिया। तो दूसरी ओर भाजपा इस मामले पर हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। जिसको लेकर राज्य में आप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर और नगर पालिका तथा परिषद अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गतिरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। जबकि नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश 2019 को मंजूरी मिलने के बाद एक दो दिन में नगरीय आवास एवं विकास विभाग राजपत्र में इसकी अधिसूचना जारी करेगा। जिसके बाद विभाग वार्ड व निकाय के परिसीमन की कार्यवाई शुरू करेगा जिसके लिए दावे आपत्ति बुलाए जाएगें। वही राज्य शासन के अनुसार 15 फरवरी 2020 को महापौर और अध्यक्ष पद के आरक्षण होगा। तो वही निर्वाचन आयोग जनवरी 2020 की स्थिति में मतदान सूची तैयार करवाएगा।

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