कृषि कानूनों को वापिस लेने के निर्णय ने एक बार फिर प्रधानमंत्री के उदार चरित्र को उजागर किया है- मनोहर लाल

Manohar Lal

आज यहां अपने आवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए श्री मनोहर लाल ने कहा कि लगभग सवा साल पहले केंद्र सरकार किसानों विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लाभ के लिए तीन नए कृषि कानून लेकर आई थी। किसानों ने इन कृषि कानूनों का स्वागत किया था, परंतु कुछ किसानों को किसी कारणवश यह कानून लाभदायक नहीं लगे और वे किसान लगभग 11 महीनों से दिल्ली की सरहदों पर बैठे हैं ।

चंडीगढ़  मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने गुरुपर्व के शुभ अवसर पर आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापिस लेने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि इन कानूनों को वापिस लेने के निर्णय ने एक बार फिर प्रधानमंत्री के उदार चरित्र को दिखा दिया है और वास्तव में इस निर्णय से प्रधानमंत्री का कद और बड़ा हो गया है।

आज यहां अपने आवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए  मनोहर लाल ने कहा कि लगभग सवा साल पहले केंद्र सरकार किसानों विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लाभ के लिए तीन नए कृषि कानून लेकर आई थी। किसानों ने इन कृषि कानूनों का स्वागत किया था, परंतु कुछ किसानों को किसी कारणवश यह कानून लाभदायक नहीं लगे और वे किसान लगभग 11 महीनों से दिल्ली की सरहदों पर बैठे हैं । आज समाज हित, किसान हित को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करके अपने उदार दिल का प्रदर्शन किया है ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय यह दर्शाता है कि जब भी जनकल्याण की बात आती है, तो वह जनता के हित को सर्वोपरि रखते हुए इस तरह के निर्णय लेने से भी पीछे नहीं हटते हैं और उन्होंने आगामी संसदीय सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। मैं मानता हूं कि इस निर्णय से वास्तव में उनका कद और बड़ा हो गया है।

दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों से आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वे अपना धरना तुरंत खत्म करें और अपने घरों को लौट जाएं। इस आंदोलन से आम आदमी को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब इस मुद्दे के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाया जाना चाहिए।

किसानों द्वारा एमएसपी से संबंधित मांगों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस संबंध में जल्द ही एक कमेटी का गठन किया जाएगा, जिसमें किसानों के प्रतिनिधि, राज्यों सरकारों के प्रतिनिधि और वैज्ञानिक भी शामिल होंगे। मुझे उम्मीद है इस संबंध में भी निर्णय जल्द ही लिया जाएगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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