पूर्व न्यायाधीश ने अनुच्छेद 35ए और 370 को खत्म करने की कि वकालत
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क । Apr 16 2019 4:08PM
हेगड़े ने कहा कि इसके शब्द ऐसे लगते हैं जैसे जिन पृष्ठभूमि में आश्वासन दिए गए वे ‘‘स्थायी’’ हैं और इसके बाद देश में जो घटनाएं हुईं वे दिखाती हैं कि इन अनुच्छेदों को जारी रखना संभव नहीं है क्योंकि अगर कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तो इसे अन्य राज्यों की तुलना में अलग दर्जा नहीं दिया जा सकता है।
हैदराबाद। उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एन. संतोष हेगड़े ने मंगलवार को कहा कि अनुच्छेद 35ए और 370 को खत्म करने की जरूरत है क्योंकि वे अन्य राज्यों के अधिकारों के विपरीत हैं। इन अनुच्छेदों के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल है। उन्होंने कहा कि 1948 में जब कश्मीर के महाराजा राज्य का भारत में विलय करने पर सहमत हुए थे तब संविधान के अनुच्छेद 35ए और 370 के तहत लोगों को कुछ आश्वासन दिया गया था।
हेगड़े ने कहा कि इसके शब्द ऐसे लगते हैं जैसे जिन पृष्ठभूमि में आश्वासन दिए गए वे ‘‘स्थायी’’ हैं और इसके बाद देश में जो घटनाएं हुईं वे दिखाती हैं कि इन अनुच्छेदों को जारी रखना संभव नहीं है क्योंकि अगर कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तो इसे अन्य राज्यों की तुलना में अलग दर्जा नहीं दिया जा सकता है। भारत के पूर्व सॉलीसीटर जनरल ने कहा, ‘‘इसलिए आज के परिप्रेक्ष्य में दोनों अनुच्छेद पूरे देश के लिए काफी समस्याएं पैदा कर रहे हैं। इसलिए मेरा मानना है कि इन अनुच्छेदों को जारी रखना संभव नहीं है।’’
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उन्होंने कहा कि ‘‘आज की स्थिति’’ में जरूरी है कि इन अनुच्छेदों को खत्म कर दिया जाए क्योंकि उस कानून के तहत दी गई कुछ स्वायत्तता अन्य राज्यों के अधिकारों के विपरीत है और अगर कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तो इसका दर्जा अन्य राज्यों के बराबर ही होना चाहिए।’’ कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि 70 वर्ष बीत चुके हैं...मेरे मुताबिक उन अनुच्छेदों का जो उद्देश्य था वह पूरा हो गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं है। इसलिए इन दोनों अनुच्छेदों का अब संविधान में कोई स्थान नहीं रह गया है।’’ अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है और अनुच्छेद 35ए उस राज्य में बाहरी लोगों को जमीन एवं संपत्ति खरीदने से रोकता है।
डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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