श्रावण में देवघर के वैद्यनाथ मंदिर खोलने को लेकर तीन जुलाई को उच्च न्यायालय करेगा फैसला

Vaidyanath temple

राज्य सरकार ही बताए कि किन शर्तों के साथ कांवर यात्रा सहित अन्य आयोजन की छूट दी सकती है। सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला तीन जुलाई के लिए सुरक्षित कर लिया।

रांची। झारखंड उच्च न्यायालय ने देवघर स्थित वैद्यनाथ मंदिर, वासुकीनाथ मंदिर और कांवर यात्रा को श्रावण मास में भक्तों के लिए खोलने के बारे में मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। कांवर यात्रा सहित बाबा वैद्यनाथ व वासुकीनाथ मंदिर को खोलने के मामले में अब 3 जुलाई को झारखंड उच्च न्यायालय अपना फैसला सुनायेगा। भाजपा सांसद निशिकांत दूबे द्वारा इस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से आग्रह किया कि कुछ शर्तों के साथ श्रावणी मेले का आयोजन किया जाए। जबकि राज्य सरकार ने न्यायालय को बताया कि बड़े पैमाने पर होने वाले इस आयोजन में सामुदायिक रूप से कोरोनावायरस संक्रमण का खतरा है। जबकि बिहार सरकार ने कहा कि यह पूरी तरह से झारखंड सरकार का मामला है। 

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राज्य सरकार ही बताए कि किन शर्तों के साथ कांवर यात्रा सहित अन्य आयोजन की छूट दी सकती है। सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला तीन जुलाई के लिए सुरक्षित कर लिया। इससे पूर्व शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय ने श्रावण मास में देवघर में भगवान वैद्यनाथ धाम एवं वासुकीनाथ के मंदिर को भक्तों के दर्शनार्थ खोले जाने के संबंध में दायर इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा था कि वह स्पष्ट करे कि श्रावण में इस पवित्र मंदिर को भक्तों के लिए खोलने की उसकी योजना है या नहीं? श्रावण माह में देवघर के वैद्यनाथ और वासुकीनाथ मंदिर खोलने और कांवर यात्रा शुरू करने के मामले पर उच्च न्यायालय ने झारखंड सरकार और बिहार सरकार से जवाब मांगा था। भाजपा सांसद निशिकांत दूबे की जनहित याचिका पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने सरकार को यह बताने को कहा था कि वर्तमान स्थिति में कांवर यात्रा शुरू की जा सकती है या नहीं। आम लोगों के लिए बाबाधाम और वासुकीनाथ मंदिर को खोलने की कोई योजना तैयार की गयी है या नहीं? 

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पीठ ने इस मामले में बिहार सरकार को भी प्रतिवादी बनाते हुए उसे भी इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। कांवर यात्रा बिहार के सुल्तानगंज से शुरू होती है अतः बिहार सरकार का पक्ष जानने के लिए उच्च न्यायालय ने उसे भी प्रतिवादी बनाया। पीठ ने देवघर के डीसी और पंडा धर्मरक्षिणी सभा को भी नोटिस जारी करते हुए अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था और सभी को 30 जून तक शपथपत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। याचिका में कहा गया था कि कांवर यात्रा पर आज तक कभी रोक नहीं लगी है। प्राकृतिक आपदा और 19 वीं सदी में प्लेग और कालरा जैसी महामारी में भी मंदिर में पूजा होती थी और कांवर यात्रा जारी थी। याचिका में पुरी की रथयात्रा कुछ शर्तों के साथ जारी रखने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कांवर यात्रा जारी रखने और दोनों मंदिर भक्तों के लिए खोलने का आग्रह अदालत से किया गया है। भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने सुनवाई पूरी होने के बाद आशा व्यक्त की है कि उच्च न्यायालय भक्तों की भावनाओं को देखते हुए देवघर धाम श्रावण में खोलने की अनुमति अवश्य देगा।

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