कोरोना की दूसरी लहर में हुए कई बच्चे अनाथ, Adoption कितना आसान?

The Indian children orphaned by Covid-19
निधि अविनाश । Jun 19 2021 3:36PM

दिल्ली बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के चेयरपर्सन ने कहा कि, दिल्ली में 59 ऐसे बच्चे है जिन्होंने कोरोना में अपने दोनों माता-पिता को खोया है। वहीं ऐसे ही 1350 बच्चे वो हे जिन्होंने अपने सिंगर पेरेंट को खो दिया है। बता दें कि यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है।

देश में कोरोना की दूसरी लहर ने न जाने कितने ही बच्चों को अनाथ कर दिया है। आपको बता दें कि इस समय इन बच्चों को गोद लेने के लिए लंबी कतारें लग गई है लेकिन कोरोना लॉकडाउन के कारण गोद लेने की प्रक्रिया में काफी समय लग सकता है। चाइल्ड राइट्स विशेषज्ञ के मुताबिक, बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में पहले से ही समय लगता है और इस कोरोना काल में अवाथ हुए बच्चों की लिस्ट लंबी है और यह बच्चे इस वक्त सदमें में भी हो सकते है जिसके कारण इन बच्चों की काउसलिंग होने में भी काफी समय लग सकता है। मिले आकंड़ो के अनुसार, राजधानी दिल्ली में 59 ऐसे बच्चें है जो अनाथ हो गए है। वहीं बात करे बाकी देशों की तो 3600 से अधिक बच्चों ने अपने माता-पिता को कोरोना में खो दिया है।

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राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के आकंड़े के अनुसार, 3600 से ऐसे बच्चे है जिन्होंने कोरोना में अपने माता-पिता को खोया है वहीं 26 हजार ऐसे बच्चे भी है जिन्होंने एक पेरेंट को अलविदा कहा है। NCPCR के मुताबिक इन आकंड़ों में दिल्ली और बंगाल शामिल नहीं है। हालांकि, दिल्ली बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के चेयरपर्सन ने कहा कि, दिल्ली में 59 ऐसे बच्चे है जिन्होंने कोरोना में अपने दोनों माता-पिता को खोया है। वहीं ऐसे ही 1350 बच्चे वो हे जिन्होंने अपने सिंगल पेरेंट को खो दिया है। बता दें कि यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है। 

क्या है Adoption की प्रक्रिया?

NCPCR के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो के मुताबिक, कोरोना मामलों में जिन बच्चों ने अपने पेरेट्ंस को खो दिया है, गोद की प्रक्रिया काफी लंबी होगी क्योंकि गोद लेने से पहले कई प्रक्रिया होती है जिसको कई स्टेप में बांटा जाता है। 

पहले बच्चे को चाउल्ड वेलफेयर कमिटि के सामने पेश किया जाता है, जिसमें बेसिक जानकारी इकट्टा की जाती है, उसके बाद डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट इन बच्चों की सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट तैयार करती है। इस रिपोर्ट में बैंक अकाउंट , प्रॉपर्टी, इंशोयरेंस की जानकारी शामिल होती है। इसके बाद हर एक बच्चे का केयर प्लान तैयार किया जाता है। आखिरी में यह तय किया जाएगा कि बच्चे को रिश्तेदार में रहना है या चिल्ड्रन होम में और इसके बाद 33 सरकारी स्कीम का फायदा मिलने के लिए डिस्ट्रिक्ट ऑथरिटी काम पर लग जाएगी। यह सिंगल पेरेंट के लिए फायदेमंद होता है।  

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