बिजली मंत्री ने सस्ती बिजली की उपलब्धता के साथ वितरण कंपनी चुनने की आजादी का किया समर्थन

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[email protected] । Oct 11 2019 12:54PM

बिजली कंपनियों की अकुशलता का खामियाजा ग्राहकों को नहीं भुगतना चाहिए। उन्हें सस्ती बिजली मिलने के साथ मोबाइल फोन कंपनियों की तरह बिजली वितरण कंपनी चुनने का अधिकार होना चाहिए। एक क्षेत्र में अधिक बिजली वितरण कंपनियों के होने से रोजगार भी सृजित होंगे।

नर्मदा। बिजली मंत्री आर. के. सिंह ने शुक्रवार को कहा कि ग्राहकों को सस्ती बिजली की उपलब्धता के साथ पसंदीदा बिजली वितरण कंपनी चुनने की आजादी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों की अकुशलता का दुष्प्रभाव ग्राहकों पर नहीं पड़ना चाहिए।उन्होंने कहा कि ग्राहकों को सातों दिन 24 घंटे के साथ सस्ती और पर्यावरण अनुकूल बिजली देना तथा निवेश आकर्षित करना ऐसी चुनौतियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निवेश आकर्षित करने के लिये बिजली उत्पादक कंपनियों के बकाये के भुगतान और बिजली खरीद समझौतों का पूरा सम्मान करने की जरूरत है।सिंह ने यहां नर्मदा जिले में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के पास आयोजित राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘हम बिजली क्षेत्र में जो सुधार कर रहे हैं, वह ग्राहक केंद्रित है और यह अबतक नहीं था।

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बिजली कंपनियों की अकुशलता का खामियाजा ग्राहकों को नहीं भुगतना चाहिए। उन्हें सस्ती बिजली मिलने के साथ मोबाइल फोन कंपनियों की तरह बिजली वितरण कंपनी चुनने का अधिकार होना चाहिए। एक क्षेत्र में अधिक बिजली वितरण कंपनियों के होने से रोजगार भी सृजित होंगे।’’नागिरकों के अधिकार पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यदि उपभोक्ता पैसा दे रहा है तो उसे 24 घंटे और गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलनी चाहिए। यह एक चुनौती है। हमें इस दिशा में काम करना है।’’सस्ती बिजली के बारे में उन्होंने कहा कि अन्य कदमों के अलावा हम अधिक दक्ष बिजली संयंत्रों को कोयला आपूर्ति में तरजीह दे रहे हैं। निवेश की जरूरत रेखांकित करते करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले समय में बिजली की मांग बढ़ने जा रही है। बिजली क्षेत्र में फिलहाल सात प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है। देश में प्रति व्यक्ति बिजली की औसत खपत 1,149 यूनिट है, जबकि वैश्विक औसत 3,600 यूनिट है।’’सिंह ने कहा ‘‘ अभी हमारी जो मांग है, वह उत्पादन क्षमता के अनुसार कम है। लेकिन सौभाग्य योजना के तहत 16 महीनों में 2.66 करोड़ घरों को बिजली कनेक्शन देने के बाद आने वाले समय में इसमें तेजी आएगी।

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इसके लिये नये उत्पादन संयंत्रों की जरूरत होगी और इसके लिये निवेश चाहिए।’’बिजली मंत्री ने कहा कि क्षेत्र में तभी निवेश आएगा जब उत्पादक कंपनियों को बकाया पैसा वापस मिलेगा और बिजली खरीद समझौतों का सम्मान होगा तथा बिजली की दरें वाजिब होंगी।उन्होंने कहा, ‘‘राज्य निवेश आकर्षिक करने के लिये अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन देते हैं…अन्य कदम उठाते हैं। अगर वे वाकई में निवेश आकर्षिक करना चाहते हैं तो बिजली कंपनियों के बकाये का भुगतान करें और जो पूर्व में बिजली खरीद समझौता हुआ है, उसका सम्मान करें और वितरण कंपनियों की अकुशलता दूर करें।’’ उल्लेखनीय है कि जहां एक तरफ बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया 59,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है, वहीं आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्य पूर्ववर्ती सरकार में हुए बिजली खरीद समझौतों पर फिर से गौर करने पर जोर दे रहे हैं।

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उनका कहना है कि बिजली खरीद समझौतों में गड़बड़ी हुई है।बिजली मंत्री के अनुसार कुल 59,000 करोड़ रुपये के बकाये में राज्यों के विभागों के ऊपर करीब 47,000 करोड़ रुपये का बकाया है।नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन एक अन्य महत्वपूर्ण चुनौती है, हमें इसके लिये काम करना है। इसी को ध्यान में रखकर हम 2030 तक 4,50,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।’’उन्होंने बिजली क्षेत्र को दक्ष बनाने के लिये प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने, चोरी पर लगाम लगाने, सब्सिडी समस्या से पार पाने के लिये कृषि क्षेत्र के लिये अलग फीडर व्यवस्था स्थापित करने का भी जिक्र किया।

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