न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखना बार की जिम्मेदारी: सुप्रीम कोर्ट

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[email protected] । Mar 7 2019 8:24PM

पीठ ने कहा, ‘‘बार की आजादी कायम रखी जानी चाहिए। इसके साथ ही बार की भी जिम्मेदारी है कि न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखना सुनिश्चित करे।’’

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के एक आवेदन पर सुनवाई के दौरान कहा कि न्यायपालिका की गरिमा को सुनिश्चित करना बार की जिम्मेदारी है। भूषण ने अटार्नी जनरल द्वारा उनके खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई से न्यायाधीश अरुण मिश्रा के हटने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि निष्पक्ष आलोचना होनी चाहिए लेकिन न्यायपालिका और न्यायाधीशों को बदनाम नहीं करना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘बार की आजादी कायम रखी जानी चाहिए। इसके साथ ही बार की भी जिम्मेदारी है कि न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखना सुनिश्चित करे।’’  अदालत ने कहा, ‘‘न्यायपालिका बार के ठोस स्तंभों पर खड़ी है।’’ अदालत में यह मामला तब उठा जब प्रशांत भूषण की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि भूषण ने एक याचिका दायर की है जिसमें मामले की सुनवाई से न्यायमूर्ति मिश्रा के हटने की मांग की गयी है। 

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उन्होंने न्यायमूर्ति मिश्रा द्वारा जारी पूर्व के कुछ आदेशों का हवाला दिया। उस मामले का भी उल्लेख किया गया जिसमें शीर्ष अदालत ने न्याय के अधीन मामले पर वकीलों के मीडिया में जाने को लेकर टिप्पणी की थी और कहा कि इससे भूषण के मन में शंका बढ़ गयी। न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा, ‘‘न्यायाधीश स्वतंत्र होकर सोचते हैं। यह सामान्य सी बात है कि कुछ मामले में कुछ न्यायाधीश कड़ा रुख अपना सकते हैं जबकि दूसरे न्यायाधीशों का अलग दृष्टिकोण हो सकता है। इस संस्था की यही तो खूबसूरती है।’’ 

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