यूजीसी नियम या फिर राजनीति के भेंट चढ़ा माखनलाल विश्वविद्यालय का नोएडा कैंपस ?

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अंकित सिंह । Jun 5 2019 12:14PM

अगर बंद ही करना था तो यूजीसी के नियम आने के बाद ही कर दिया गया होता। अब सवाल आर्थिक बोझ का उठता है तो मध्य प्रदेश शासन ने इसे खोला ही क्यों था। शासन इस कैंपस को चलाने में कई अनिमितताएं बरतने का भी आरोप लगा रहा है।

सरकार बदतली है तो प्रशासन बदल जाता है यह तो हम सब ने सुना था पर सरकार बदलने के साथ ही किसी विश्वविद्यालय के कैंपस को बंद करने का फरमान आ जाए यह कम ही देखने को मिला है। खासकर जब वह विश्वविद्यालय सरकारी हो और छात्र उस में पढ़ रहे हो। हाल ही में यह देखने को मिला। मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही कमलनाथ सरकार ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के नोएडा कैंपस को बंद करने का फरमान जारी कर दिया। इस फरमान को जारी करने के कई कारण बताए जा रहे है जिसमें सबसे बड़ा कारण यह है कि विश्वविद्यालय का नोएडा कैंपस यूजीसी के नियमों के विरूद्ध है। इसके अलावा सरकार यह भी लगातार कहती आ रही है कि नोएडा कैंपस के चलने से उसे अतरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है। तो सवाल यह उठता है कि फिर नोएडा कैंपस को इतने दिन से चलाया क्यों जा रहा था। अगर बंद ही करना था तो यूजीसी के नियम आने के बाद ही कर दिया गया होता। अब सवाल आर्थिक बोझ का उठता है तो मध्य प्रदेश शासन ने इसे खोला ही क्यों था। शासन इस कैंपस को चलाने में कई अनिमितताएं बरतने का भी आरोप लगा रहा है।

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अगर नोएडा कैंपस की बात करे तो यह सन् 2000 में खुला था जब दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। तब से लेकर अब तक इस कैंपस से हजारों छात्र निकले हैं जिनमें के कई देश की प्रमुख मीडिया संस्थाओं में काम कर रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान के आने के बाद इस कैंपस का विस्तार हुआ और कई नए पाढ्यक्रम को शुरू किया गया। अब परिदृश्य बदल गया है और यूजीसी के नियमों का हवाला देकर इस कैंपस को बंद करने की बात की जा रही है। नए छात्रों के दाखिले नहीं लिए जा रहे हैं। फिलहाल यहां छात्रों की संख्या 350 से आसपास बताई जा रही है। मई में अंतिम सत्र की परिक्षा के बाद यह आकड़ा 120 के आस पास हर गया है। बचे हुए छात्रों को यह डर सताने लगा है कि अब उनका क्या होगा? क्या आगे की पढ़ाई करने के लिए उन्हें भोपाल जाना पड़ेगा? यहीं सोच कर छात्रों ने धरना दिया और नोएडा कैंपस को बंद ना करने की बात करने लगे। 

छात्रों की इस मांग के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें इस बात के लिए आश्वस्त किया कि उनकी पढ़ाई तक यह कैंपस नोएडा में चलेगा। हालांकि छात्रों के कई और आरोप भी है। वह इस बात का लगातार आरोप लगा रहे हैं कि कमलनाथ नोएडा कैंपस पर पहले से ही नजर गड़ाए हुए हैं क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि यहां संघ का एजेंडा चलाया जाता है। यह आरोप लगाते हुए छात्र उनके एक साक्षातकार का भी जिक्र करते है जिसे उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले दिया है। छात्रों का यह भी आरोप है कि यहां का सामान कौड़ी के भाव में बेचा जा रहा है। छात्र यह भी कह रहे हैं कि इस कैंपस को कमलनाथ सरकार द्वारा बंद किया जाना शत प्रतिशत भ्रष्टाचार, निजी हित साधना एवं कुछ निजी मीडिया संस्थानों को लाभ पहुंचाने का मामला है। यहां के प्रभारी बीएस निगम ने इन सब बातों से इनकार किया है और कहा कि यूजीसी की गाइडलाइन व सुप्रीम कोई के नियमों के तहत कोई भी यूनिवर्सिटी अपना कैंपस किसी दूसरे राज्य में नहीं खोल सकती है। इसी कारण यह भी कैंपस बंद किया जा रहा है।  

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इस कैंपस में ज्यादातर बिहार, उत्तर प्रदेश और समस्त हिन्दी भाषी क्षेत्र के वह छात्र आते हैं जिनका भोपाल में नामांकन नहीं हो पाता। इस से पहले यहां के कई प्रोफेसर को भोपाल भेज दिया गया। इसके अलावा कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में कथित तौर पर हुई प्रशासनिक एवं आर्थिक गड़बड़ियों के मामले में इस विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बृज किशोर कुठियाला सहित 19 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। कुल मिलाकर कहें तो सत्ता परिवर्तन के बाद से ही यह विश्वविद्यालय में रहा है। कुलपति से लेकर कुलसचिव तक बदल दिए गए। इन सब कार्यों को छात्र राजनीति स

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