हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारे की अनूठी मिसाल है पंजाब का ये शहर!

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मौलवी और पुजारी चुनाव के मौसम में शहर में राजनीतिक हलचल से बेफिक्र होकर प्यार और भाईचारे के किस्से सुनाते हैं। व्यस्ततम ताजपुरा बाजार में हनुमान मंदिर के बाहर प्रसाद बेचने वाले मोहम्मद यासीन (33) का कहना है कि मालेरकोटला में बंटवारे के समय एक भी सांप्रदायिक झड़प नहीं हुई।

मालेरकोटला। पंजाब के मुस्लिम बहुल शहर मालेरकोटला एक ऐसा अनूठा शहर है जहां एक मस्जिद और एक मंदिर की एक साझा दीवार है। एक मुस्लिम व्यक्ति हनुमान मंदिर के बाहर प्रसाद बेचता है और एक ब्राह्मण के स्वामित्व वाली प्रेस रमजान के लिए ग्रीटिंग कार्ड छापती है। मौलवी और पुजारी चुनाव के मौसम में शहर में राजनीतिक हलचल से बेफिक्र होकर प्यार और भाईचारे के किस्से सुनाते हैं। व्यस्ततम ताजपुरा बाजार में हनुमान मंदिर के बाहर प्रसाद बेचने वाले मोहम्मद यासीन (33) का कहना है कि मालेरकोटला में बंटवारे के समय एक भी सांप्रदायिक झड़प नहीं हुई। उन्होंने कहा कि आपने जो घटनाएं सुनी हैं, वे बाहरी लोगों की करतूत थीं। यहां पर मुसलमान माता की चौकी में आते हैं और हिन्दू इफ्तार के लिए शरबत तैयार करते हैं।

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उन्होंने कहा कि शहर के हाथोआ गांव में हाल ही में गुरू ग्रंथ साहिब के जलने की घटना एक हादसा थी। वर्ष 2016 में, कुछ बाहरी लोगों ने हमारी पवित्र पुस्तक की बेअदबी की थी। इससे पूर्व भी असामाजिक तत्वों ने शहर में शांति भंग करने की कोशिश की थी लेकिन वे नाकाम रहे थे। हमारा भाईचारा समय की कसौटी पर खरा उतरा है। सड़क के उस पार, हनुमान मंदिर के अंदर, 73 वर्षीय मुख्य पुजारी फूलचंद शर्मा का कहना है कि मालेरकोटला के लोग अपने धर्म से एक दूसरे को नहीं परखते हैं। उन्होंने कहा कि शहर नफरत और धर्म की राजनीति से प्रभावित नहीं होता है। उम्मीदवार धार्मिक तर्ज पर वोट मांगने की कोशिश करते हैं, लेकिन लोगों के ध्रुवीकरण करने की उनकी कोशिश नाकाम साबित हुई है।

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एक किलोमीटर दूर, सोमसन्स कॉलोनी में, तीन साल पुराना मंदिर और 60 साल पुरानी मस्जिद की नौ इंच मोटी दीवार साझा है। पुजारी और मौलवी एक साथ मुस्कुराते है। लक्ष्मीनारायण मंदिर में पुजारी चेतन शर्मा द्वारा शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली पत्तियां अक्सा मस्जिद परिसर में स्थित बेल के पेड़ से लाई जाती है। शर्मा ने बताया कि नमाज शुरू होने से पहले वह आरती पूरी कर लेते है ताकि मुस्लिम श्रद्धालुओं को कोई असुविधा नहीं हो। उन्होंने कहा कि मौलवी साहब हर रोज ‘राम राम’ कहकर मेरा अभिवादन करते हैं। हम गांव के जीवन से लेकर भोजन तक बहुत सी चीजों के बारे में बात करते हैं लेकिन मंदिर-मस्जिद की राजनीति से दूर रहते हैं। यह स्थान अयोध्या जैसा है, लेकिन एक शांत जगह है।

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मौलवी मोहम्मद हासिम का कहना है कि मस्जिद प्रशासन ने मंदिर के निर्माण के लिए बिजली और पानी उपलब्ध कराया था और इसके उद्घाटन पर मिठाइयां बांटी गई थी। हासिम ने कहा कि कोई भी राजनेता हमारे बीच दूरी पैदा नहीं कर सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह राहुल गांधी है या नरेंद्र मोदी। चुनाव आएंगे और जाएंगे, लेकिन हमें रोज एक साथ रहना होगा। रमजान के लिए प्रिंट किये गये ग्रीटिंग कार्ड को पैक करते हुए एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक अशोक शर्मा (61) ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि चुनावों में कौन किसके लिए मतदान कर रहा है।

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उन्होंने कहा कि हम इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचते हैं। लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी पसंद का व्यक्ति चुनने का अधिकार है लेकिन हम राजनीतिक बहस में नहीं पड़ना चाहते हैं। 52 वर्षीय एक बर्तन डीलर अरिजीत सिंह के पांच कर्मचारी हैं और सभी कर्मचारी मुस्लिम है। उन्होंने कहा कि किसी राजनीतिक पार्टी के झंड़े की तुलना में उनके लिए तिरंगा ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मंदिर और मस्जिद को लेकर लड़ने की क्या जरूरत है जब सब कुछ समान है। मालेरकोटला संगरुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आता है जहां आम आदमी पार्टी की ओर से भगवंत मान, कांग्रेस के केवल सिंह ढिल्लों और शिरोमणि अकाली दल के परमिंदर सिंह ढींडसा चुनाव मैदान में है। 2011 की जनगणना के अनुसार, शहर में लगभग 92,000 मुस्लिम, 28,000 हिंदू और 12,800 सिख हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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