प्रभासाक्षी के कार्यक्रम में बोलीं युवा लेखिकी, किसी भाषा से नहीं है हिंदी की कोई प्रतियोगिता
युवा लेखिका ने कहा कि हिन्दी की अपनी यात्रा है। हिन्दी की यात्रा को कोई नहीं रोक सका है। शुद्धियां, अशुद्धियां तमाम विषय रहे हैं, जिसमें काम करने की जरूरत होती रहती है।
नयी दिल्ली। डिजिटल युग में सबसे ज्यादा हिन्दी शब्दकोश खलता है। हिन्दी की जो विशाल यात्रा है उसमें शब्दकोश के लिए महत्वपूर्ण काम नहीं हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि हिन्दी की किसी भी भाषा से कोई प्रतियोगिता नहीं है। हिन्दी की अपनी यात्रा है। हिन्दी की यात्रा को कोई नहीं रोक सका है। शुद्धियां, अशुद्धियां तमाम विषय रहे हैं, जिसमें काम करने की जरूरत होती रहती है।
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सीखने की धारिता को बढ़ाने से बहुत से दोष समाप्त हो जाएंगे। आज के समय में एक भाषा-दूसरी भाषा से प्रतियोगिता की बात कर रही है। ऐसे में हमें मैत्री भाव के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इस कार्यक्रम में कई जाने-माने कवि, हास्यकार, व्यंग्यकार और लेखकों ने हिस्सा लिया। सभी ने हिन्दी की सार्थकता की बात कही। इस दौरान कवियों ने अपनी-अपनी रचनाएं भी सुनाई। उनकी रचनाएं सुनने के लिए प्रभासाक्षी के यूट्यूब चैनल से जुड़िए।
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