इस प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार ने छापी पुलिस की धार्मिक भेदभाव की छवि वाली खबर, PIB और दिल्ली पुलिस ने कराया सच से सामना

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अभिनय आकाश । Jul 16 2020 1:56PM

एक प्रतिष्ठित अखबार है इंडियन एक्स्प्रेस जिसने अपनी रिपोर्ट में यह दिखाने कि कोशिश की है कि दिल्ली पुलिस निष्पक्ष ढंग से काम नहीं कर रही है। दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्ननर ने दिल्ली दंगा मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को आदेश दिया कि हिन्दू युवाओं की गिरफ्तारी न करें।

अमेरिकी लेखक और व्यंगकार मार्क ट्वेन का बहुत मशहूर कोट है, 'A lie can travel around the world and back again while the truth is lacing up its boots' यानि झूठ की रफ्तार बहुत तेज होती है और जब तक सच अपने जूते पहन रहा होता है तब तक झूठ आधी दुनिया का भ्रमण कर चुका होता है। वर्तमान में वेब और सोशल मीडिया की दुनिया पर भी यहीं लागू होता है। इन प्लेटफार्म पर सच पैदल चलता है और झूठ पंख लगाकर उड़ जाता है। दरअसल एक प्रतिष्ठित अखबार है इंडियन एक्सप्रेस जिसने अपनी रिपोर्ट में यह दिखाने कि कोशिश की है कि दिल्ली पुलिस निष्पक्ष ढंग से काम नहीं कर रही है। दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्ननर ने दिल्ली दंगा मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को आदेश दिया कि हिन्दू युवाओं की गिरफ्तारी न करें, ऐसा करने से हिन्दू समुदाय में रोष फैल सकता है। इस रिपोर्ट के बारे में विस्तार से आगे बताएंगे। पहले इस रिपोर्ट के जवाब में दिल्ली पुलिस और पीआईबी ने क्या प्रतिक्रिया दी है वो बता देते हैं। दिल्ली पुलिस का कहना है कि इस खबर से सनसनी फैलाने की कोशिश की गई है। वहीं पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी फैक्टचेक  ने भी इस रिपोर्ट के दावे को भ्रामक और आदेश की भावना के विपरीत बताया है।

क्या थी अखबार की रिपोर्ट

इंडियन एक्स्प्रेस ने 16 जुलाई को एक रिपोर्ट की जिसमें कहा गया कि दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिशनर ने दिल्ली दंगा मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को आदेश दिया है कि ऐहतियातन हिन्दू युवाओं की गिरफ्तारी न करें। ऐसा करने से हिन्दू समुदाय में रोष फैल सकता है। आदेश में कहा गया है कि गिरफ्तार करते समय पूरी सावधानी बरती जाय और सुरक्षा मानकों का पूरा ख्याल रखा जाय। दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) ने जांच टीमों की अगुवाई कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों को एक आदेश देते हुआ ऐसा लिखा है और उनसे जांच अधिकारियों का “उपयुक्त” मार्गदर्शन करने के लिए कहा है। स्पेशल सीपी के आदेश में कहा गया है, “किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय उचित देखभाल और सावधानी बरती जाय। प्रत्यक्ष और तकनीकी साक्ष्यों सहित सभी सबूतों का ठीक से विश्लेषण किया जाय और यह सुनिश्चित किया जाय कि सभी गिरफ्तारियां पर्याप्त सबूतों द्वारा समर्थित हैं।

गौरतलब है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि इस तरह की रिपोर्टों का खंडन हुआ हो। इसके पहले भी इंडियन एक्सप्रेस की कई खबरों को निराधार बता चुकी है दिल्ली पुलिस और पीआईबी।

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मौलाना साद का वीडियो प्रकरण

इंडियन एक्सप्रेस ने 9 अप्रैल को प्रकाशित खबर में दावा किया कि दिल्ली पुलिस को ऐसा लगता है कि मौलाना साद के वायरल वीडियो छेड़छाड़ किया गया है,जिसमें वो जमातियों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने को कह रहा है। दिल्ली पुलिस ने इंडियन एक्सप्रेस की खबर का खंडन किया है जिसमें यह दावा किया गया है कि दिल्ली पुलिस को लगता है कि तबलीगी जमात के मुखिया साद के वीडियो के साथ छेड़छाड़ किया गया है।

गुजरात के अस्पताल में हिंदुओं-मुसलमानों को अलग Ward में रखा जाता है

इंडियन एक्सप्रेस ने मेडिकल सुप्रीटेन्डेंट डॉक्टर के हवाले से दावा किया गया था कि गुजरात के अहमदाबाद में अस्पताल में कोरोना के मरीजों को धर्म के आधार पर वार्ड में रखा जाता है।  खबर की थी जिसमें एक वैसे तो हमारे यहां पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग वार्ड होते हैं, परन्तु यहां हिन्दुओं और मुसलमानों के लिए भी अलग-अलग वार्ड हैं। ये सरकार के दिशानिर्देश अनुसार है। खबर सामने आने के बाद गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने तुरंत इसका खंडन किया। इसके अलावा पीआईबी ने भी अपने फैक्ट चेक ट्वीट में इस खबर को निराधार बताया। 

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