Haryana Assembly Election : बल्लभगढ़ में इस बार आसान नहीं होगी दो बार चुनाव जीतने वाले Moolchand Sharma की राह

Moolchand Sharma
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Anoop Prajapati । Sep 15 2024 4:17PM

बल्लभगढ़ सीट से भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी बार भी चुनावी रण का योद्धा मूलचंद शर्मा को ही बनाया है। पिछले दो चुनाव में अपने रण कौशल से पार्टी को जीत दिलाने वाले मूलचंद शर्मा की राह इस बार आसान नहीं रहने वाली। पूरे राज्य में कांग्रेस जिस तरह से बढ़े हुए मनोबल के साथ चुनावी मैदान में उतरी है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बल्लभगढ़ सीट से भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी बार भी चुनावी रण का योद्धा मूलचंद शर्मा को ही बनाया है। पिछले दो चुनाव में अपने रण कौशल से पार्टी को जीत दिलाने वाले मूलचंद शर्मा की राह इस बार आसान नहीं रहने वाली। पूरे राज्य में कांग्रेस जिस तरह से बढ़े हुए मनोबल के साथ चुनावी मैदान में उतरी है और सोच-समझ कर प्रत्याशियों को मैदान में लड़ने के लिए भेज रही है। इससे लग रहा है कि चुनाव में चुनौती कड़ी होगी और मुकाबला रोचक देखने को मिलेगा और मतदाताओं को भी चुनाव युद्ध का आनंद आएगा।

हालांकि, इस ऐतिहासिक नगरी के पिछले चार चुनाव में मुकाबला रोचक नहीं रहा। पिछले दो चुनाव में तो दूसरे नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी मात्र 15976 व 24985 वोट ही ले सके थे, जबकि मूलचंद शर्मा का वोट लेने का आंकड़ा 66 हजार और 69 हजार से अधिक था। इसी से साफ है कि मुकाबला तब कितना एकतरफा था। मूलचंद शर्मा के लगातार दो चुनाव में बड़ी अंतर से जीत और हालिया लोकसभा चुनाव में भी पार्टी प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर को 45775 की बढ़त दिला कर भेजने के बाद पार्टी ने उन पर तीसरी बार भी भरोसा जताया और प्रत्याशी घोषित किया।

वर्तमान में प्रदेश सरकार में उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री मूलचंद शर्मा को के लिए जीत दर्ज करना इस बार इसलिए आसान नहीं मानी जा रही, क्योंकि कांग्रेस ने इस क्षेत्र में लगातार पांच साल मेहनत की है। पार्टी ने पराग शर्मा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र में किसी भी एक जाति का एकाधिकार नहीं है। यहां पर वैश्य, पंजाबी, जाट, राजपूत, ब्रह्मण, मुस्लिम, ओबीसी, पिछड़ा और अनुसूचित जाति के 259965 मतदाता रहते हैं। यहां करीब 50 कालोनी बसी हुई हैं। इन कालोनियों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार से आकर लोग रहते हैं। यह अलग-अलग क्षेत्र में फैक्ट्रियों में काम करते हैं। इन मतदाताओं की संख्या ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि का फैसला करती है।

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